
विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में श्रीमद् भगवद्गीता सप्ताह का शुभारंभ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Viththal-Rukmini-Mandir-Amravati: “श्रीमद् भगवद्गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो केवल सुनने मात्र से ही जीवन को संवार देता है और उसे समृद्ध बनाता है। इसमें भक्ति, धर्म और भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का सार निहित है,” ऐसा उपदेशात्मक संदेश पंकज महाराज पोहोकार ने दिया।
शनिवार, 1 नवंबर को राधिका नगर स्थित मंगलधाम में चल रहे श्रीमद् भगवद्गीता सप्ताह के चौथे दिन पंकज महाराज ने भक्तों का मार्गदर्शन किया। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति भगवद्गीता के सिद्धांतों को सुनता, पढ़ता या जीवन में अपनाता है, तो उसका जीवन वास्तव में परिवर्तित हो जाता है। यह ग्रंथ शांति, प्रेम, भक्ति और सत्य के प्रकाश से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा, “जहां भगवद्गीता है, वहां भगवान हैं; जहां भगवान हैं, वहां आनंद है; और जहां आनंद है, वहीं जीवन सफल होता है।”
पंकज महाराज ने आगे कहा कि सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के दुःख से व्याकुल होता है और सहायता के लिए आगे बढ़ता है। उन्होंने कथा श्रवण करने वालों से कहा कि कभी किसी की भावना को ठेस न पहुंचाएं।उन्होंने उपस्थित महिलाओं से आग्रह किया कि वे “मूल्य की जननी” हैं, इसलिए बच्चों में बचपन से ही सनातन धर्म, करुणा और मानवता की भावना का संस्कार करें, क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों में बड़ों का सम्मान और अनुशासन का संस्कार विकसित करें।
विदर्भ की पंढरी के नाम से प्रसिद्ध कौंड्यापुर स्थित विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में कार्तिक मास उत्सव का शुभारंभ श्रद्धा और भक्ति के साथ हुआ।1 नवंबर, रविवार की सुबह 6 बजे दिनेश भुसारी (आर्वी) के हस्ते भव्य पूजा संपन्न हुई। इसके बाद 2 नवंबर को प्रबोधिनी भागवत एकादशी के मुख्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह 6 बजे जयनारायण चांडक एवं परिवार (आर्वी) के हस्ते महापूजा सम्पन्न हुई। दोपहर 12 बजे पारंपरिक वारकरी भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके पश्चात दोपहर 2 बजे चांडक परिवार की ओर से विशेष एकादशी फराल महाप्रसाद का वितरण किया गया।
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पूरे उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने उपस्थिति दर्ज कराई। मंदिर समिति ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं और सुरक्षा प्रबंध सुदृढ़ रखे थे। भक्तों के जयघोष से मंदिर परिसर गूंज उठा और विठ्ठल-रुक्मिणी नामस्मरण से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय बन गया।






