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8 से 21 सितंबर तक पितृपक्ष:, पूर्वजों को तृप्त करने का सुनहरा अवसर, आप तैयार हैं?

हिंदु धर्म में जितना महत्व धर्म का है, उतना ही महत्वपूर्ण हमारे लिए पितृ पक्ष का समय होता है। इस समय में हम हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तृपण और उनका श्राद्ध पक्ष करते हैं।

  • By अपूर्वा नायक
Updated On: Sep 06, 2025 | 12:14 PM

पितृ पक्ष (सौ. सोशल मीडिया )

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Akola News In Hindi: हिंदू धर्म में ईश्वर प्राप्ति के चार मूल सिद्धांत बताए गए हैं देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण और समाजऋण। इन चारों ऋणों को चुकाना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म माना गया है। इनमें से पितृऋण को चुकाने के लिए श्राद्ध विधि का पालन करना आवश्यक है।
यह विधि मृत माता-पिता और अन्य पूर्वजों की आत्मा को शांति और सद्गति प्रदान करने के लिए की जाती है। पितृपक्ष की तिथि और महत्व की जानकारी सनातन संस्था की प्रतिभा जडी ने दी है। वर्ष 2025 में पितृपक्ष का आरंभ 8 सितंबर से हुआ है और इसका समापन 21 सितंबर को अमावस्या के दिन होगा। यह काल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आता है।
इस अवधि में प्रतिदिन महालय श्राद्ध करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पूर्वजों को तृप्ति और गति प्राप्त होती है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। श्राद्ध का उद्देश्य पितृलोक में स्थित आत्माओं को आगे की गति प्रदान करना है। यदि किसी आत्मा की इच्छाएं अधूरी रह गई हों तो श्राद्ध के माध्यम से उन्हें पूर्ण कर सद्गति दिलाई जाती है।

श्राद्ध कौन कर सकता है

श्राद्ध करने का अधिकार पुत्र को होता है क्योंकि उसकी ऊर्जा पूर्वजों से जुड़ी होती है। स्त्रियाँ जैसे माँ, पत्नी, बेटी और बहू भी श्राद्ध कर सकती हैं। यदि कोई उपलब्ध न हो तो सपिंड, शिष्य, मित्र, जमाई आदि भी श्राद्ध कर सकते हैं। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार, यदि मृत व्यक्ति का कोई न हो तो राजा को उसका श्राद्ध करना चाहिए।

श्राद्ध में आने वाली कठिनाइयों के समाधान

यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हों तो सुवासिनी या ज्ञानी व्यक्ति से श्राद्ध करवाना चाहिए। संकल्प विधि, ब्रह्मार्पण विधि या होम श्राद्ध जैसे विकल्प अपनाए जा सकते हैं। गौ को अन्न देना, तिल अर्पण करना, उपवास रखना, तिलयुक्त जल से तर्पण करना भी श्राद्ध का विकल्प हो सकता है।
ये भी पढ़ें :-  Washim News: बाप्पा की विदाई के लिए सज्ज हो गया वाशिम, 3 दिनों तक चलेगा गणेश विसर्जन

श्राद्ध के लिए अंतिम विकल्प

यदि कोई भी विधि संभव न हो तो जंगल में जाकर सूर्य की ओर हाथ उठाकर प्रार्थना करें और कहें कि मेरे पास श्राद्ध के लिए कोई साधन नहीं है। मैं अपने पितरों को श्रद्धा पूर्वक नमस्कार करता हूं। मेरी भावना से वे तृप्त हों।

Pitra paksh is starting from 8 september to 21 september

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Published On: Sep 06, 2025 | 12:14 PM

Topics:  

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