(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
मुंबई : राज्य में विधानसभा चुनाव का संग्राम अपने आखिरी दौर में पहुंच गया है। 20 नवंबर को वोटिंग होनी है तथा 23 नवंबर को मतगणना के उपरांत चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस पृष्ठभूमि में चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने राकांपा में बगावत की वजह को लेकर अपने निर्वाचन क्षेत्र बारामती में बड़ा खुलासा किया है। अजीत ने कहा कि मैंने साहेब अर्थात राकांपा नेता शरद पवार को नहीं छोड़ा। उनका यह खुलासा राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।
बारामती में उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके भतीजे युगेंद्र पवार के बीच मुकाबला होने जा रहा है। युगेंद्र पवार को शरद पवार की राकांपा ने अपना उम्मीदवार बनाया हैं। इससे पवार परिवार के गढ़ बारामती में अजीत पवार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।
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लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार की पुत्री एवं राकांपा शरदचंद्र पवार की उम्मीदवार सुप्रिया सुले के खिलाफ अजीत ने अपनी पत्नी सुनेत्रा को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया था। लेकिन बारामती की जनता ने सुप्रिया के पक्ष में वोट दिया था। इससे अजीत की काफी किरकिरी हुई थी। अब विधानसभा चुनाव में अजीत खुद मैदान में हैं। अजीत लोगों से गुहार लगा रहे हैं कि लोकसभा में आपने ताई (सुप्रिया) को वोट दिया तो विधानसभा में दादा यानी मुझे (अजीत) वोट दें। लेकिन उन्हें यह डर भी लग रहा है कि बुजुर्ग चाचा के खिलाफ बगावत के बाद उनकी पार्टी और चुनाव चिह्न छीनने की वजह से बारामती की जनता उनके खिलाफ मतदान कर सकती है। इसलिए अजीत लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। रविवार को दिया गया उनका बयान भी इसी संदर्भ में था।
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अपने बयान में अजीत ने कहा, ”दोस्तों आप में से कुछ लोग सोचते होंगे कि मुझे (अजीत पवार) इस उम्र में साहेब (शरद पवार) को नहीं छोड़ना चाहिए था। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने उन्हें नहीं छोड़ा। सभी विधायक सरकार के साथ जाना चाहते थे, क्योंकि विपक्ष में होने के कारण तमाम विकास कार्य ठप हो गए थे। मैंने साहेब को विधायकों की राय के बारे में बताया था। सभी विधायकों के हस्ताक्षर भी थे।” उन्होंने अपनी बात की पुष्टि के लिए कहा कि आज जनता चाहे तो यहां बैठे लोगों में से संभाजी और राजवर्धन से पूछ सकती है। उन्होंने कहा, ”जनता के स्वीकृत कार्य रुक गये, मेरे लिए ये सिरदर्द हो गया, हालांकि मैंने काम स्थगित नहीं किया था, स्थगन सरकार की ओर से दिया गया है। मैं तो विपक्ष का नेता था। लेकिन लोग सवाल पूछ रहे थे।”