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इंदौर: जहां एक तरफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने राज्य सरकार को अब यह निर्देश दे दिया है कि वह अलग-अलग अंचलों के मुताबिक न्यूनतम मजदूरी के वर्गीकरण पर विचार-विमर्श के लिए सभी हितधारकों की तुरंत बैठक बुलाए। वहीं इस बाबत हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति दुप्पला वेंकटरमणा की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान श्रम विभाग ने कहा कि राज्य सरकार अलग-अलग उद्योगों के मुताबिक अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी तय करने को सहमत है।
बीते सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के श्रम विभाग ने कहा कि जहां तक अलग-अलग अंचलों के मुताबिक अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी तय करने का सवाल है, तो याचिकाकर्ताओं के साथ चर्चा करके इस विषय पर विचार के लिए प्रदेश सरकार के सामने विकल्प खुला है। इस रुख के मद्देनजर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह अलग-अलग अंचलों के मुताबिक न्यूनतम मजदूरी के वर्गीकरण पर विचार-विमर्श के लिए सभी हितधारकों की बैठक बुलाए और दो महीने के भीतर यह कवायद पूरी करे जिसके बाद अदालत उचित आदेश पारित करेगी।
इधर मामले पर प्रदेश के श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने इंदौर में एक बैठक के दौरान संवाददाताओं से कहा कि, “हमने पहले भी कहा था कि हम अलग-अलग उद्योगों के आधार पर न्यूनतम मजदूरी के वर्गीकरण के लिए तैयार हैं। हालांकि, अलग-अलग अंचलों के मुताबिक न्यूनतम मजदूरी के वर्गीकरण के लिए हम अभी तैयार नहीं हैं, लेकिन इस बारे में विचार तो जरूर कर सकते हैं।”
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे के याचिकाकर्ताओं में शामिल “मध्यप्रदेश टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन” के वकील गिरीश पटवर्धन ने बताया कि औद्योगिक संगठनों की मांग है कि सूबे में न्यूनतम मजदूरी की दरें अलग-अलग अंचलों और अलग-अलग उद्योगों के हालात के मुताबिक वर्गीकृत की जानी चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘प्रदेश के अलग-अलग अंचलों में जीवन-यापन का खर्च अलग-अलग है। लिहाजा सभी अंचलों के लिए एक समान न्यूनतम मजदूरी तय किया जाना सरासर अनुचित है।”
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हालांकि देश में फिलहाल समान राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नहीं है, केवल राज्य सरकारों द्वारा कौशल स्तर, उद्योग और स्थान जैसे कारकों के आधार पर मजदूरी निर्धारित की जाती है। वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने आधिकारिक तौर पर मध्य प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी में संशोधन किया है। नवीनतम अपडेट के अनुसार अकुशल कर्मचारियों को प्रति माह 9825 रुपये की न्यूनतम मजदूरी दर मिलेगी जबकि उच्च कुशल मजदूरों को प्रति माह 13,360 रुपये की न्यूनतम मजदूरी दर की गई है।
जानकारी दें कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 भारत की संसद द्वारा पारित एक श्रम कानून है जो कुशल तथा अकुशल श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी का निर्धारण करता है। यह अधिनियम सरकार को विनिर्दिष्ट रोजगारों में कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए प्राधिकृत करता है। इस बाबत राज्य सरकारों से भी जरुरी अपडेट मांगा जाता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)