मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लिए आज का दिन वहीं काली रात को याद करने के लिए आया है। आज 3 दिसंबर को 40 साल बाद भी कोई भी तबाही के उस मंजर को भुला नहीं सका।
भोपाल गैस त्रासदी (सौ.सोशल मीडिया)
Bhopal Gas Tragedy:मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लिए आज का दिन वहीं काली रात को याद करने के लिए आया है। आज 3 दिसंबर को 40 साल बाद भी कोई भी तबाही के उस मंजर को भुला नहीं सका। वह जहरीली गैस लाखों लोगों की दुश्मन बन गई है।
राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) का रिसाव भारतीय इतिहास की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक बन गया। यहां पर लोगों की नींद खतरनाक याद के साथ खुली।
भोपाल में तीन दिसंबर का दिन यूनियन कार्बाइड के एक पूर्व वैज्ञानिक के लिए एक सामान्य कार्य दिवस की तरह शुरू हुआ था। जहां पर आगे किसी को घर से निकलने के समय नहीं पता था कि, अफवाह से भयावह मंजर हजारों जिंदगियों को लील लेगा।
यहां पर लोग बताते है कि,डकैतों ने लाल मिर्च जलाकर पुराने भोपाल पर हमला किया है, पूरा इलाका धुएं में डूबा हुआ है। बाहर जैसे ही लोगों ने मंजर देखा तो यकीन हुआ कि, अफवाह नहीं भोपाल के लिए भयावह रात आई है।
इस त्रासदी में तत्कालीन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5,474 लोगों की जान गई, जबकि पांच लाख से अधिक लोग गैस के जहरीले प्रभाव से प्रभावित हुए।
हादसे के 40 साल में अब तक कोई भी इस दिन को भुला नहीं सका है। लेकिन इसका जख्म आज भी हरा है इस दिन को कोई भी भुला नहीं सकते है।