सीधी जिले की एक गर्भवती महिला लीला साहू की सड़क की डिमांड पर नेता जी के बोल
सीधी: मध्य प्रदेश के सीधी जिले की एक गर्भवती महिला लीला साहू ने जब अपने गांव के लिए सड़क की मांग की, तो जवाब में अब जो सुनने को मिला, उसने सभी को चौंका दिया। इस पर सांसद राजेश मिश्रा ने कहा- “डिलीवरी की तारीख बताओ, एक हफ्ता पहले अस्पताल में भर्ती करा देंगे।” महिला लीला साहू की यह मांग एक साल पुरानी है, लेकिन सड़क नहीं बनी। अब उनका वीडियो फिर से वायरल हो गया है और बयानबाजी ने राजनीतिक हलको में भी हलचल मचा दी है।
लीला साहू ने सड़क न बनने से परेशान होकर एक बार दोबारा फिर से सोशल मीडिया का सहारा लिया और प्रशासन को चेताया है। उनका कहना है कि गांव में छह महिलाएं गर्भवती हैं और सड़क की खराब हालत के चलते एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकती। जवाब में न सिर्फ बीजेपी सांसद मिश्रा ने टालने वाला बयान दिया बल्कि PWD मंत्री राकेश सिंह ने भी कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट देखकर सड़कें नहीं बनती। अब सवाल यह उठ रहा है कि जनता की बुनियादी जरूरतों को यूं टालना क्या लोकतंत्र का अपमान नहीं है?
नेता जी की संवेदनहीनता या सिस्टम की सच्चाई
मध्यप्रदेश के सीधी से बीजेपी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने बयान देते हुए कहा कि “डिलीवरी की एक संभावित तारीख होती है बता दें, हम एक हफ्ता पहले अस्पताल में भर्ती करा देंगे, उन्होंने आगे की कोई बात नही डिलेवरी की अनुमानित तारीख होती है उसके एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे। एंबुलेंस, अस्पताल और आशा कार्यकर्ता मौजूद हैं।” उन्होंने सड़क निर्माण की जिम्मेदारी पिछली सरकार पर डालते हुए कहा कि सड़कों को इंजीनियर और ठेकेदार बनाते हैं, सांसद नहीं। इतना ही नहीं, उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर समस्या उठाने की शैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर किसी को सोशल मीडिया पर छाना है, तो वीडियो बनाता रहे।”
सोशल मीडिया पर सरकार की जवाबदेही खत्म
राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने भी लीला साहू की मांग पर कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “अगर हर कोई सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर सड़क मांगेगा, तो क्या हम डंपर लेकर पहुंच जाएं?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि हर सड़क के लिए नियम और बजट तय होता है। जबकि गांव के लोग बताते हैं कि पिछले एक साल में किसी अधिकारी ने आकर सड़क की स्थिति तक नहीं देखी। 10 किलोमीटर की यह सड़क आज भी कच्ची है और बरसात में गांव का संपर्क टूट जाता है।
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लीला साहू ने दो टूक कहा कि “हमने वोट दिया है, अब आपकी जिम्मेदारी है।” उनका आरोप है कि राज्य में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद गांव आज भी विकास से दूर है। सड़क न होने से न केवल गर्भवती महिलाओं की जिंदगी खतरे में है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और बीमार लोगों के इलाज पर भी असर पड़ रहा है। यह मामला न सिर्फ सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।