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आज है हरितालिका तीज व्रत, इस राज्य में ‘करू-भात’ खाकर महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानिए

आज देशभर में हरतालिका तीज व्रत रखा जा रहा है जो व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। आज के दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता-पार्वती की आराधना की जाती हैं और इस दौराना सच्ची आस्था की पहचान होती है। इस कठिन व्रत की महिमा बेहद खास होती है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Sep 06, 2024 | 07:50 AM

करू भात की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)

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आज देशभर में हरतालिका तीज व्रत रखा जा रहा है जो व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। आज के दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता-पार्वती की आराधना की जाती हैं तो वहीं पर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है। सभी व्रतों में से एक यह हरितालिका तीज व्रत कठिन व्रत होता हैं क्योंकि इसमें बिना पानी पीएं और खाना खाएं रखती है। कई जगह पर इस व्रत को लेकर मान्यताएं प्रचलित हैं इसके अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाएं व्रत के एक दिन पहले यानि गुरुवार को करू भात का सेवन करती हैं तो उसके दूसरी दिन निर्जला व्रत रखती है।

जानिए क्या हैं करू भात की परंपरा

यहां पर करू भात खाने की परंपरा छत्तीसगढ़ राज्य में विद्यमान हैं जहां पर कड़वा मतलब ‘करू‘ होता है और पके हुए चावल को ‘भात‘ कहा जाता है। इस व्रत पूजा से एक दिन पहले शाम के समय भोजन में करेला की सब्जी भात का भोग लगाएंगी और खीरा खाकर सोएंगी, ताकि अन्न की डकार न आए। इसके बाद कुछ भी नहीं खाती हैं। इस दिन छत्तीसगढ़ के हर घर में करेले की सब्जी खासतौर पर बनाई जाती है। इसे लेकर महिलाओं का कहना हैं कि, तीज व्रत से एक दिन पहले करेला खाया जाता हैं क्योंकि करेला खाने से कम प्यास लगती हैं और इसके अलावा यह कारण हैं कि, मन की शुद्धता के लिए करेला खाने से कड़वाहट दूर होती हैं और मन शांत होता है। इस खास मान्यता के अनुसार ही महिलाओं 24 घंटे का निर्जला व्रत दूसरे दिन तक रखती है।

ये भी पढ़ें- हरतालिका तीज के व्रत में भूलकर भी न करें ये काम, अन्यथा निष्फल हो जाएगी पूजा

जानिए कब से हुई हरतालिका तीज व्रत की शुरुआत

इस हरतालिका तीज व्रत की शुरुआत पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने सर्वप्रथम यह व्रत रखा था और भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। इस व्रत को लेकर कहा जाता हैं कि, आज के दिन माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए तीजा के दिन निर्जला और निराहार रहकर घनघोर तप किया था। भगवान शंकर पार्वती से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें (Hartalika Teej 2024) अपने जीवन में पत्नी के रूप में स्थान देते हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना के लिए उपवास रखती हैं। उड़ीसा में यह गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है।

Women keep a waterless fast by eating karu bhat in chhattisgarh

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Published On: Sep 06, 2024 | 07:50 AM

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