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क्यों मनाया जाता है नवरात्रि में ‘सिंदूर खेला’, जानिए इसका महत्व

  • By navabharat
Updated On: Oct 05, 2022 | 07:01 AM

File Photo

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-सीमा कुमारी

इस साल सिंदूर खेला 5 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन यानी दशमी को मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता  हैं। इस दिन देश में कई स्थानों पर सिंदूर खेला मनाया जाता हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा के आखिरी दिन सिंदूर खेला का रस्म निभाया जाता हैं। जिसमें मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया जाता हैं। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बंगाली समुदाय द्वारा का विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती हैं। आइए   जानें सिंदूर खेला कब खेलते हैं और क्या है इसका महत्व-

शुभ मुहूर्त

  • विजयादशमी बुधवार, अक्टूबर 5, 2022
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 2:07 बजे से दोपहर 2:54 बजे तक
  • बंगाल विजयादशमी बुधवार, अक्टूबर 5, 2022 को
  • अपराह्न पूजा का समय – 01:20 पी एम से 03:41 पी एम

दुर्गा पूजा का आरंभ नवरात्रि की षष्ठी तिथि से होता है। बंगाली मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ धरती पर अपने मायके आती हैं। इनके साथ मां सरस्वती और मां लक्ष्मी भी पधारती हैं। पंडालों में भव्यता से पांच दिन तक देवी की उपासना करते हैं। फिर, दशमी को सिंदूर खेला यानी कि मां को सिंदूर अर्पित कर विदा किया जाता है।

महत्व  

मां दुर्गा को पान के पत्ते से सुहागिनें सिंदूर लगाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर धूमधाम से ये परंपरा निभाती हैं। रस्म के अनुसार मां की मांग में सिंदूर लगाकर और उन्हें मिठाई खिलाकर मायके से विदा किया जाता हैं। सुखद दांपत्य जीवन की कामना के साथ ये अनुष्ठान किया जाता हैं।

विजयादशमी की खास परंपरा

सिंदूर खेला की रस्म 450 साल से चली आ रही हैं।  ये परंपरा पश्चिम बंगाल से शुरू हुई थी । नवरात्रि के आखिरी दिन बंगाली समुदाय के लोग धुनुची नृत्य (Dhunuchi Dance) कर मां को प्रसन्न करते  हैं।

Why sindoor khela is celebrated in navratri know its importance

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Published On: Oct 05, 2022 | 07:00 AM

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