ओडिशा का खास बोइता बंधन (सौ.सोशल मीडियाः
Kartik Purnima 2024: हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार के साथ संस्कृतियों का महत्व होता है। यहां पर आने वाले दिन कार्तिक पूर्णिमा की पूजा की जाएगी साथ ही इस दिन स्नान करने का अलग महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा, हर राज्य की अलग-अलग होती है जिसे किसी ना किसी नाम से जानते है।
यहां पर ओडिशा में कार्तिक पूर्णिमा को ‘बोइता बंदाण उत्सव’ के रूप में जाना जाता है जिसमें यह परंपरा हर साल निभाई जाती है। इस खास उत्सव के दिन सुबह स्नान करने के साथ ही लोग पास के समुद्र, या नदी,तालाब में नाव को तैराने का काम करते है। इसका अलग महत्व होता है।
ओडिशा के इस ‘बोइता बंदाण उत्सव’ के अंतर्गत नावों का खासा महत्व होता है। नावों को फूलों, सुपारी, पान के पत्तों और दीयों से सजाया जाता है। परंपरा की शुरुआत को लेकर कहा जाता है कि, यह अनुष्ठान क्षेत्र के समृद्ध समुद्री इतिहास और व्यापार के लिए समुद्र में उतरने वाले बहादुर नाविकों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है।
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बताया जाता है कि, ओडिशा के व्यापारी जावा, सुमात्रा, बाली और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ व्यापार करने के लिए बोइतास पर यात्रा करते थे इसी से ही जोड़ते हुए इस उत्सव की शुरुआत हुई। इस ‘बोइता बंदाण उत्सव’ वर्तमान पीढ़ी के लिए को समुद्री विरासत से जुड़ने और उसका सम्मान करने के लिए प्रेरित करने का काम है।
यहां पर कार्तिक पूर्णिमा से इस उत्सव का संबंध माना जाता है। यहां पर कहा जाता है कि, व्यापारी नाविकों के द्वारा बोइता नामक जहाजों में यात्राएं की जाती थीं उस दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया में समुद्र के पार दूर-दराज के इलाकों के लोगों के साथ व्यापार करने के लिए महीनों के लिए निकल पड़ते थे। इस दौरान यात्रा की शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा से मानी जाती है जो शुभ होती है।
इस दिन व्यापार करने दूसरे देश जा रहे नाविकों के परिवारों की महिलाएं कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को शुभ मानते हुए सुरक्षित यात्रा की कामना करती है। इस वजह से बोइतास देश से जोड़ते हुए ‘बोइता बंदाण उत्सव’ (नावों की पूजा) की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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