गरबा-डांडिया का महत्व (सौ. सोशल मीडिया)
Importance of Garba in Navratri: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस बार 22 सितंबर से होने जा रही है। इस नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान होता है। माता दुर्गा की पूजा घरों और पंडालों में माता के भक्त, भक्तिभाव के साथ करते है। नवरात्रि में पूजा के अलावा सांस्कृतिक झलक भी नजर आती है। नवरात्रि में आपने गरबा और डांडिया का अनोखा रंग तो देखा होगा साथ ही इसमें भाग लेकर इंजॉय किया होगा।
किसी ने लेकिन सोचा है आखिर गरबा और डांडिया का क्या महत्व होता है। नवरात्रि में नौ दिनों के दौरान सभी वर्गों के लोग क्यों खेलते है।
शारदीय नवरात्रि में महिला-पुरुष और बच्चों के बीच गरबा का नृत्य किया जाता है। इसमें गरबा की एक से बढ़कर एक स्टेप्स में सब थिरकते नजर आते है। दरअसल गरबा का अर्थ “गर्भ” से होता है, जो देवी के गर्भ में निहित जीवन और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। जहां पर गरबा एक तरह से पारंपरिक अनुष्ठान के साथ वाला नृत्य है जो मिट्टी के बर्तन (गरबी) में जलते हुए दीपक के चारों ओर किया जाता है, जो मां दुर्गा की दिव्यता, जीवन के चक्रीय स्वरूप और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को दर्शाता है। यह खास तरह के नृत्य गरबा का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि, देवी दुर्गा की आराधना करना और उनके भीतर छिपी असीम ऊर्जा और शक्ति का सम्मान करना है।
गरबा के आसपास सभी नृत्य के जरिए ब्रह्मांड की निरंतर बदलती प्रकृति और उसमें देवी की स्थिर उपस्थिति का प्रतीक दर्शाते है। गरबा एक वृत्त ( घेरे) में किया जाता है, जो समय के चक्रीय स्वरूप को दर्शाता है – जन्म, जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म। माना गया है।
ये भी पढ़ें-गरबा नाइट में इन गुजराती आउटफिट्स को ट्राई कर लें, आपकी खूबसूरती में लगेंगे चार चांद
गरबा या गर्भदीप की बात की जाए तो, पारंपरिक गरबा एक छिद्रित मिट्टी के बर्तन या लालटेन (जिसे गरबी कहते हैं) के चारों ओर किया जाता है, जिसमें तेल का दीपक जलता है। यह दीपक माँ के गर्भ में जीवन का और देवी की दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। गरबा के जरिए सिर्फ आस्था नहीं समुदाय के बीच प्रेम के संदेश को भी फैलाना होता है। सभी उम्र के लोग एक साथ मिलकर देवी का सम्मान करते हैं और आनंद व कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। गरबा शारीरिक औऱ मानसिक रूप से फायदेमंद होने के साथ सुकून भी देता है।