दिवाली का त्योहार (सौ.सोशल मीडिया)
maa Laxmi pujan on Diwali:हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार का खास महत्व है जहां पर सभी प्रकार के व्रत को नियमों के साथ रखा जाता है। वहीं पर बड़े त्योहार में से एक दिवाली है जो घर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती हैं। इस मौके पर घर और आंगन पर दीप जलाकर, रंगोली और मिष्ठान पकवान के साथ त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते है। दीवाली के मौके पर माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी का पूजन एक साथ किया जाता है आखिर इसकी क्या वजह है कि, गणेश जी का पूजन करते है।
दिवाली, वैसे तो सबसे बड़ा और खास त्योहार हैं वहीं पर इसे मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसे हर कोई जानता है। दीवाली का त्योहार भगवान श्रीराम के प्रसंग से जुड़ा है जब भगवान ने अंहकारी रावण का वध करके माता सीता को उसके चंगुल से बचाया था। इसके बाद जब 14 वर्ष का वनवास पूरा करके भगवान श्री राम और माता सीता समेत भाई लक्ष्मण अयोध्या पहुंचे थे। यहां पर अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या में दीप जलाकर त्योहार मनाया था। इस बाद से दिवाली का त्योहार हर साल मनाने की परंपरा शुरु हुई है।
आपको बताते चलें कि, पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और श्रीगणेशजी की पूजा एक साथ करते हैं इसका अलग महत्व होता है…
1- पहली वजह यह है कि लक्ष्मी सिर्फ धन की देवी नहीं बल्कि सौभाग्य, सुख, संपदा, यश और कीर्ति की देवी भी हैं। ये सारी चीजें अगर हमें बिना शुद्ध बुद्धि के मिल भी जाएं तो नष्ट हो जाती हैं। इसलिए बुद्धि के देवता गणेश जी की पूजा लक्ष्मी जी के साथ की जाती है जिससे कि सौभाग्य, सुख, संपदा और यश हमारे जीवन में कायम रहें।
2– दूसरी वजह यह है कि देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु योग निद्रा में शयन करते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के अनुसार मां पार्वती ने तपस्या करके भगवान विष्णु के अंश गणेश जी को अपने पुत्र के रूप में पाया था। इसलिए भगवान विष्णु की गैरमौजूदगी में उनके अंश बुद्धि के देवता की उपासना लक्ष्मी जी के साथ की जाती है।
3- तीसरी वजह यह है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को अपनी श्रेष्ठता पर अहंकार हो गया था। तब भगवान विष्णु ने उनके अहंकार को नष्ट करने के लिए उन्हें संतानहीन होने को लेकर ताना दिया। चूंकि पार्वती के एक पुराने शाप की वजह से कोई भी देवता संतान पैदा नहीं कर सकते थे इसलिए लक्ष्मी जी ने पार्वती जी से उनके पुत्र गणेश को अपने मानस पुत्र के रूप में मांग लिया। लक्ष्मी जी चंचला हैं इसलिए पार्वती जी अपने पुत्र गणेश के लक्ष्मी के साथ जाने की बात पर चिंतित हो गई। उन्होंने शर्त रखी कि वह जहां भी जाएंगी, उनके साथ हमेशा गणेश जी रहेंगे। दरअसल गणेश जी को भूख ज्यादा लगती है। इसलिए भी पार्वती लक्ष्मी जी से यह आश्वासन चाहती थीं कि गणेश कहीं भूखे न रह जाएं। लक्ष्मी जी ने मां पार्वती को यह वचन दिया कि वह जहां भी जाएंगी गणेश उनके साथ ही जाएंगे और जब तक गणेश की उनके पुत्र के रूप में पूजा नहीं होगी, मां लक्ष्मी किसी को भी वरदान नहीं देंगी।