देव दीपोत्सव
-सीमा कुमारी
सनातन धर्म में ‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi) व्रत का बहुत महत्व है। इस बार यह पर्व 23 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है।
‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi) व्रत दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है, जिसे ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’ और ‘काली चौदस’ भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन यमराज की पूजा करने और यम दीपक जलाने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषियों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी पर कुछ कार्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जब कि कुछ कार्य करना निषेध होता है। आइए जानें नरक चतुर्दशी पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
शास्त्रों के अनुसार, ‘नरक चतुर्दशी’ पर यमराज की पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन किसी भी जीव को न मारें। इस दिन घर की दक्षिण दिशा को गंदा न रखें। कहा जाता है कि, ऐसा करने से यमराज और पितृ-देव नाराज हो जाते हैं। ‘नरक चतुर्दशी’ पर तेल का दान नहीं करना चाहिए । ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज होती हैं। न ही इस दिन मांस का सेवन करना चाहिए। मांस खाने पर व्यक्ति को नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं।
वास्तु-शास्त्र के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर घर की विशेष तौर पर सफाई करनी चाहिए, ताकि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का आगमन हो। इस दिन घर का सभी कबाड़, टूटे-फूटे बर्तन को हटा देना चाहिए । नरक चतुर्दशी पर स्नान का भी विशेष महत्व होता हैं। इसलिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए और तिल के तेल और उबटन की मालिश करनी चाहिए। ऐसा करने से शरीर में निखार आता है।
कहते हैं कि इस दिन माथे पर तिलक लगाना चाहिए और दखिण दिशा की तरफ मुख कर पूजा करनी चाहिए। इस दिन यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान हैं। ऐसे में इनकी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ‘नरक चतुर्दशी’ पर तिल के तेल के 14 दीपक जलाना शुभ माना जाता हैं।