-सीमा कुमारी
हर साल ‘बैकुंठ चतुर्दशी’ (Vaikuntha Chaturdashi) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह चतुर्दशी 06 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।
यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा से दो दिन पहले मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु और देवों के देव महादेव को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने के लिए बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। बैकुंठ एकादशी वाराणसी, ऋषिकेश, दया , महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानिए बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्। वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।
हिंदू धर्म में ‘बैकुंठ चतुर्दशी’ (Vaikuntha Chaturdashi) का बहुत अधिक महत्व है। यह दिन इसीलिए विशेष है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की आराधना की जाती है। शिव पुराण के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई भक्त इस दिन भगवान विष्णु की 1 हजार कमल के फूल से पूजा करता है तो उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।