-सीमा कुमारी
आज ईसाई धर्म के मानने वालों के खुशियों का पर्व ‘ईस्टर संडे’ (Easter Sunday) है। यह पर्व ‘गुड फ्राइडे’ के बाद मनाया जाता है। ‘ईस्टर संडे’ ईसाइयों का बड़ा पर्व कहा जाता है।
मान्यताओं के मुताबिक, ईसाइयों के प्रभु ईसा मसीह मृत्यु के तीन दिन बाद इसी दिन फिर से जीवित हो उठे थे, जिस कारण ये पर्व देशभर में बहुत ही धूम-धाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 17 अप्रैल को मनाया जायेगा। इस दिन बड़ी संख्या में ईसाई लोग चर्च जाते हैं और भगवान यीशु के पुन: जाग्रत होने की खुशी मनाते हैं।
ईसा मसीह के जीवित होने की खुशी में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग ईस्टर संडे मनाते हैं। ईसाई धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ बाइबिल में भी लिखा गया है कि दोबारा जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के 40 दिन बाद तक ईसा मसीह पृथ्वी पर रहे थे। इस दौरान उन्होंने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, उसके बाद वे स्वर्ग चले गए। ऐसे में आइए जानें ईस्टर के इतिहास के बारे में –
इतिहासकारों के अनुसार, जब ईसा मसीह को मृत्युदंड दे दिया गया था, तो उनके अनुयायी निराश एवं हताश हो गए थे। लेकिन, गुड फ्राइडे (Good Friday) के तीसरे दिन संडे को एक महिला ईसा मसीह के कब्र पर गई। वहां पर अंधेरा छाया हुआ था। महिला ने देखा कि ईसा मसीह के कब्र पर पत्थर नहीं था। तब वह वहां से लौट गई और ईसा के अनुयायियों को इसके बारे में बताया।
वे सब ईसा मसीह के कब्र पर आए। उन लोगों ने देखा कि, कब्र में केवल कफन पड़ा हुआ है, ईसा मसीह नहीं हैं। वे लोग कब्र से चले गए, लेकिन वह महिला वहीं पर रुक गई और बैठकर रोने लगी। इसी बीच उसने देखा कि, कब्र में जहां पर प्रभु ईसा का शव रखा गया था, वहां पर दो स्वर्गदूत सफेद कपड़े पहने, खड़े थे। एक ईसा मसीह के सिर के पास और दूसरा पैर के पास खड़ा था।
तभी उन दोनों दूतों ने उस महिला से रोने की वजह जाननी चाही, तो उसने बताया कि वे उसके ईसा मसीह को लेकर चले गए हैं। उसी दौरान वहां उसने ईसा मसीह को देखा। उन्होंने उस महिला से कहा कि वे अब परम पिता के पास जा रहे हैं।
इसके घटना के तुरंत बाद वह महिला ईसा मसीह के अनुयायियों के पास आई और उनको बताया कि कैसे प्रभु ईसा मसीह फिर से जीवित हो गए हैं। धार्मिक मान्यता है कि ईसा मसीह फिर से जीवित होने के बाद 1 माह से अधिक समय तक पृथ्वी पर रहे। अंत में वे कुछ शिष्यों के साथ आसमान में चले गए।
ईस्टर संडे को बदलाव का भी दिन माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ईशा मशीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था।
ईस्टर के मौके पर अंडों का विशेष महत्व है। इस दिन लोग अंडों को सजाते हैं। साथ ही एक-दूसरे को अंडे गिफ्ट में भी देते हैं। इस दिन अंडे का महत्व इसलिए है, क्योंकि ईसाई धर्म के लोग अंडे को नया जीवन और उमंग का प्रतीक मानते हैं।