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आज है ‘आमलकी एकादशी’, ब्रह्मा के आंसू से जन्मे ‘इस’ पेड़ की करें पूजा, जानिए इस दिन का महत्व

  • By navabharat
Updated On: Mar 03, 2023 | 06:00 AM
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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर साल फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि को ‘आमलकी एकादशी’ (Amalaki Ekadashi) का व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 03 मार्च, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के साथ आंवले के पेड़ का पूजन भी किया जाता हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ महादेव की भी कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता हैं। होली से कुछ दिन पहले पड़ने के कारण इस एकादशी को लोग ‘रंगभरी एकादशी’ (Rangbhari Ekadashi) भी कहते हैं।

वैसे तो सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं, लेकिन ये एकमात्र ऐसी एकादशी है, जिसका संबंध महादेव और माता पार्वती से भी हैं। इस दिन महादेव के भक्त उन पर जमकर अबीर और गुलाल उड़ाते हैं। आइए जानें आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व क्या है?

महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्म देव की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नाभि से हो चुकी थी। ब्रह्म देव अपनी उत्पत्ति के उद्देश्य को नहीं जानते थे। वे जानना चाहते थे कि उनका जन्म कैसे हुआ? जन्म का कारण क्या है? उनमें मन में कई प्रकार के प्रश्न थे, उनके उत्तर के लिए उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की।

वे कई वर्षों तक भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करते रहे। एक दिन भगवान विष्णु उन पर प्रसन्न हुए और उन्होंने दर्शन दिया। भगवान विष्णु को देखकर ब्रह्मा जी के अश्रु बहने लगे। ब्रह्म देव के उन अश्रुओं से ही आंवले का पेड़ जन्मा। भगवान विष्णु ने आंवले के पेड़ को देव पेड़ बताते हुए कहा कि इस वृक्ष में देवी-देवताओं का वास होगा।

जो भी मनुष्य आंवले के पेड़ के नीचे उनकी पूजा करेगा और व्रत रखेगा। उसके समस्त पाप मिट जाएंगे और वह मोक्ष को प्राप्त करके स्वर्ग का अधिकारी बनेगा। तब से हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी व्रत रखा जाने लगा और आंवले के पेड़ की पूजा होने लगी। आंवला नवमी के दिन भी आंवले के पेड़ की पूजा होती है।

Today is amalaki ekadashi worship this tree born from brahmas tears know the importance of this day

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Published On: Mar 03, 2023 | 06:00 AM

Topics:  

  • Amalaki Ekadashi

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