संकष्टी चतुर्थी 2023
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ‘संकष्टी चतुर्थी’ व्रत रखा जाता है। इस बार कार्तिक महीने की ‘संकष्टी चतुर्थी’ (Sankashti Chaturthi 2023) का पावन व्रत आज यानी 1 नवंबर, बुधवार को है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। ज्योतिषियों की मानें तो वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिव योग समेत 6 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में गणेश जी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए जाने शुभ मुहूर्त और योग
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर को 9 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 1 नवंबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
ज्योतिषियों के मुताबिक, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शिव योग बन रहा है। यह योग दोपहर 2.07 बजे शुरू होगा, जो पूरे दिन रहेगा। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है।
वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06:33 बजे से अगले दिन 2 नवंबर 04:36 बजे तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता मिलती है।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वप्रथम बव करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 9 बजकर 30 मिनट तक है। वहीं, रात्रि में 9 बजकर 30 मिनट के बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष इन करणों को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही पूजा करना शुभ फलदायी होता है।