मेंटल हेल्थ को लेकर सचेत करता है 'World Alzheimer Day', जानिए क्या है अल्जाइमर्स रोग और इसके लक्षण, इलाज है या नहीं
समूचे विश्व में 21 सितंबर को ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ (World Alzheimer Day 2024) मनाया जाता है। बता दें, डिमेंशिया यानी अल्जाइमर मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें लोगों की मेमोरी पावर कमजोर होने के साथ ही सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है। आमतौर पर, यह समस्या 60 वर्ष के बाद होती है। लेकिन, मौजूदा समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पूरे विश्व भर में करीब 5 करोड़ अल्जाइमर (डिमेंशिया) के मरीज है। वहीं, भारत में 40 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से जूझ रहे है। लेकिन, मौजूदा समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। कुछ सालों में इस बीमारी के मरीजों में बढ़ोतरी देखी गई है।
जानकारी के लिए बता दें, यह बीमारी जल्द पकड़ में न आए तो स्थिति इस हद तक पहुंच सकती है कि व्यक्ति का नाम क्या है, कहां रहता है ये सारी बातें भी भूलने लगता है। इसलिए वक्त रहते इस बीमारी का पता लगाना बेहद जरूरी है। इसी कारण से अल्जाइमर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल ‘वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे’ (World Alzheimer Day) मनाया जाता है। ऐसे में आज आइए जानते हैं कि क्यों होती है यह बीमारी, क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय-
आखिर क्या है ‘अल्जाइमर्स रोग’
जानकारों की मानें तो, आखिर अल्जाइमर्स यानी डिमेंशिया रोग क्या होता है। अल्जाइमर्स रोग की बीमारी अधिकतर 60 वर्ष की उम्र के बाद ज़्यादा होते देखा गया है। यह रोग बुज़ुर्गों के अलावा युवाओं में भी देखा जा रहा है। लेकिन आमतौर पर ऐसा कम ही होता है कि कोई युवा इसका शिकार हुआ हो। इस रोग से जूझ रहे व्यक्ति अपनी याददाश्त को खोने लगते हैं, साथ ही सोचने की भी शक्ति कम भी होने लगती है।
क्या हैं अल्जाइमर के लक्षण
* स्वभाव में परिवर्तन।
* हाल-फ़िलहाल की जानकारी भूल जाना।
* तारीख एवं समय की जानकारी रखने में परेशानी।
* चीजों को गलत स्थान पर रख देना।
* समस्याओं को सुलझाने में परेशानी।
* घर या कार्यस्थल पर परिचित कार्यों को पूरा करने में कठिनाई।
* समय या स्थान को लेकर भ्रम होना।
* बोलने-लिखने में परेशानी।
* मूड और पर्सनालिटी बदलना।
* डिप्रेशन, कंफ्यूज रहना, थकान और मन में डर रहना।
* सामाजिक एवं मनोरंजक गतिविधियों से दूर रहना।
अल्जाइमर का इलाज
आपको बता दें कि, अल्जाइमर की बीमारी पूरी तरह ठीक तो नहीं हो सकती। लेकिन, मरीज़ के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। ऐसी कई दवाएं हैं, जिनके द्वारा मरीज़ के व्यवहार में सुधार लाया जा सकता है। यह दवाएं डॉक्टर द्वारा ही मरीज को दी जाती हैं, जो दिमाग में न्यूरो ट्रांसमीटर्स बढ़ा देती हैं।
इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। लोगों से मिलना जुलना चाहिए, जिससे डिप्रेशन न हो।
घर के लोगों को संपर्क में रहना चाहिए ताकि उनके चेहरे पहचानने में परेशानी न हो। अगर आपके घर में पहले से किसी को यह बीमारी रही हो तो आपको इस पर पहले ही ध्यान देना चाहिए। लर्निंग पावर को मजबूत करना चाहिए, जैसे किताबें पढ़ना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना आदि। डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपना मनपसंद संगीत भी सुन सकते हैं।