– सीमा कुमारी
भारतीय हिंदू संस्कृति में हाथ जोड़कर अभिवादन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जो आज भी हमारे समाज में कायम है। हाथ जोड़कर नमस्कार या प्रणाम का करना एक प्रकार का सम्मान और संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। साथ ही बड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार करने का वैज्ञानिक एवं धार्मिक महत्व और लाभ भी बताया गया है।
इसके अलावा, यह भी धारणा है कि नमस्कार मन, वचन और शरीर तीनों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है। हममें से कई लोग बड़े-बुजुर्गों को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं। परंतु, क्या आप यह जानते हैं कि हाथ जोड़कर नमस्ते क्यों करते हैं ? और ऐसा करने के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ क्या बताए गए हैं ? आइए जानें इस बारे में-
शास्त्रों के अनुसार, हमारा शरीर पंचतत्वों से बना हुआ है। हमारे शरीर को दो भागों में बांटा गया है, जिसमे दाएं भाग को इडा और बाएं भाग को पिंडली कहा जाता है। माना जाता है कि इड़ा और पिंडली नाड़ियां दोनों ही शिव और शक्ति के रूप है। जैसे शिव और शक्ति दोनों मिलकर अर्धनारीश्वर के रूप को पूरा करते हैं, उसी तरह जब हम दाएं हाथ को बाएं हाथ से जोड़कर हृदय के सामने रखते हैं, तो हमारा हृदय चक्र या आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाता है।
हमारे अंदर की दैवीय शक्ति हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है। हमारे सोचने और समझने की शक्ति बढ़ जाती है। हमारा मन शांत हो जाता है। शरीर में रक्त का प्रवाह भी सही होता है। इसलिए हाथ जोड़कर अभिवादन करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति के प्रति भी सम्मान की भावना आती है।
विज्ञान के मुताबिक, हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। नमस्कार करते वक्त हथेलियों को आपस में दबाने से या जोड़े रखने से हृदय चक्र या आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है। जिससे हमारी जागृति बढ़ती है। साथ ही मन शांत रहता है और चित्त में प्रसन्नता आती है। इसके अलावा हृदय में पुष्टता आती है और निर्भीकता बढ़ती है। वहीं धार्मिक ग्रन्थों में भी हाथ जोड़कर नमस्ते करने के कारण और फायदे बताए गए हैं। जिसके अनुसार दाहिना हाथ आचार यानी धर्म और बांया हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है।