गणतंत्र दिवस की झांकी (सौ.सोशल मीडिया)
Republic Day 2025 Jhanki: आने वाले दिन 26 जनवरी पर राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस मनाया जाने वाला है। भारत के इतिहास में गणतंत्र दिवस का काफी महत्व होता है इस दिन को मनाने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरु हो जाती है। गणतंत्र दिवस पर जहां झंडा फहराया जाता है तो वहीं पर दिल्ली में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के दौरान विभिन्न राज्यों की झांकियों का प्रदर्शन भी होता है।
यहां पर राज्यों की झांकियों का प्रदर्शन तो होता है लेकिन कई राज्यों की झांकियों को किन्ही कारणों से रद्द कर दिया जाता है। यहां पर कौन सी झांकियां प्रदर्शित की जानी है इसे लेकर रक्षा मंत्रालय तय करता है। चलिए जानते हैं झांकियों के चयन को लेकर पूरी प्रक्रिया के बारे में…
यहां पर गणतंत्र दिवस के मौके पर कौन से कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं कौन से नहीं इसकी जानकारी रक्षा मंत्रालय के पास होती है। यहां पर रक्षा मंत्रालय का कार्य होता है कि, वे सभी राज्यों, मंत्रालयों और सरकारी उपक्रमों से झांकी के आवेदन मांगता है। इसके लिए झांकियों को तैयार करने की प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर माह में शुरु हो जाती है। यहां पर कौन सी झांकी फ्लोर पर जाएगी इसके लिए रक्षा मंत्रालय का कार्य होता है कि, वह कमेटी का गठन करता है जिसमें अलग-अलग क्षेत्र जैसे म्यूजिक, आर्किटेक्चर, पेंटिंग, कोरियाग्राफी और स्कल्पचर के विशेषज्ञ होते हैं।
सभी अपने स्तर पर आवेदनों की थीम, डिजाइन और कॉन्सेप्ट को चेक करते हैं। पहले चरण में झांकी को स्केच के तौर पर पेश किया जाता है। एक बार झांकी बनने के बाद रिहर्सल में पेश की जाती है।
आपको बताते चलें कि, यहां पर कमेटी द्वारा आवेदन को चेक करने के बाद दूसरा चरण भी लिया जाता है। इसमें आवेदकों से झांकी का 3डी मॉडल भेजने के लिए कहा जाता है। अगर दूसरे चरण में झांकी के 3डी मॉडल को मंजूरी मिल जाती है तो, राज्य में झांकी बनाने की शुरुआत होती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया में झांकी के चयन को लेकर यह भी देखा जाता है कि, झांकी का सेलेक्शन कई मानकों पर निर्भर करता है. जैसे- वो दिखने में कैसी है. लोगों पर कितना असर डालेगी। वहीं पर इसमें कौन से संगीत का इस्तेमाल किया गया। जिस विषय को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है वो कितना गहराई के साथ दिखाया जा रहा है।
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आपको बताते चलें कि, गणतंत्र दिवस के मौके पर झांकी के प्रस्तुति करण से पहले ही कई मानकों पर खरा होने के बाद झांकियों की शॉर्टलिस्टिंग की जाती है. कमियां रह जाने पर फाइनल अप्रूवल देते समय बदलाव करने को कहा जा सकता है। इस बात का ख्याल भी रखा जाता है कि, दो राज्यों की झांकी में विशेषता एक जैसी ना हो, इसके अलावा एक ही तरह की लिखावट या डिजाइन नहीं होनी चाहिए। यहां पर दो भाषाओं हिंदी और अंग्रेजी में ही लिखे जाते है राज्यों की अन्य भाषाओं को किनारों पर लिखा जाता है। इतना ही नहीं चीजों का इस्तेमाल इको फ्रेंडली होना जरूरी होता है और मंत्रालय की तरफ से झांकी के लिए ट्रैक्टर और ट्रेलर उपलब्ध कराया जाता है।