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साल 2022 की पहली ‘कालाष्टमी’, भैरव देव की पूजा का जानिए सही मुहूर्त और पूजा- विधि

  • By navabharat
Updated On: Jan 25, 2022 | 06:14 PM
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-सीमा कुमारी

साल 2022 की पहली ‘कालाष्टमी व्रत’ (Kalashtami Vrat) 25 जनवरी, यानी आज है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव जी (Lord Shiva) के काल स्वरूप भैरव देव और आदि शक्ति की पूजा-उपासना की जाती है। इस पर्व को अघोरी समाज के लोग बहुत धूमधाम से मनाते है। तंत्र-मंत्र सीखने वाले तांत्रिक ‘कालाष्टमी’ की रात को सिद्धि पूर्ण करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि तांत्रिक साधक जादू-टोने की सिद्धि कालाष्टमी की रात्रि में ही करते हैं। इस दिन कालाष्टमी का व्रत विधि पूर्वक करने से जातक के जीवन से दुःख, दरिद्र, काल और संकट दूर हो जाते हैं।  आइए जानें ‘कालाष्टमी व्रत’ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी दिन मंगलवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर हो रहा हैं। यह तिथि 26 जनवरी दिन बुधवार को प्रात: 06 बजकर 25 मिनट तक मान्य है। इस साल का पहला ‘कालाष्टमी’ व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा।

‘कालाष्टमी’ के दिन ‘द्विपुष्कर योग’ और ‘रवि योग’ का संयोग बन रहा हैं। इस दिन ‘द्विपुष्कर योग’ प्रात: 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक है, वहीं ‘रवि योग’ सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक हैं। इसका शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है।

पूजा-विधि

इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इसके बाद अंजलि में पवित्र जल रख आमचन कर अपने आप को पवित्र करें। अब सर्वप्रथम सूर्य देव का जलाभिषेक करें। इसके पश्चात भगवान शिव जी के स्वरूप काल भैरव देव की पूजा पंचामृत, दूध, दही, बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल, धूप-दीप आदि से करें। अंत में आरती अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं प्रभु से जरूर कहें।

व्रती इच्छानुसार, दिन में उपवास रख सकते हैं। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। इसके अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ के बाद व्रत खोलें।

महत्व

‘कालाष्टमी’ का व्रत करने और काल भैरव की पूजा करने व्यक्ति को हर प्रकार के डर से मुक्ति मिलती हैं। उनकी कृपा से रोग-व्याधि दूर होते हैं। वह अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करते हैं। उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां पास नहीं आती हैं।

‘काल भैरव’ को भगवान शिव का अंश माना जाता है। ‘काल भैरव’ की उत्पत्ति भगवान शिव से ही हुई है। ‘काल भैरव’ को कलयुग का जागृत देव माना जाता है।

First kalashtami of the year 2022 know the right time and method of worship of bhairav dev

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Published On: Jan 25, 2022 | 01:00 PM

Topics:  

  • Kalashtami Vrat

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