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M. Visvesvaraya की याद में मनाया जाता है ‘इंजीनियर्स डे’, जानें इससे जुड़ी खास बातें

भारतरत्न विश्वेश्वरय्या उन सभी लोगों के लिए आदर्श है जो इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते है। आइये जानते है इस दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • By वैष्णवी वंजारी
Updated On: Sep 15, 2025 | 01:24 PM
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नई दिल्ली : हर साल 15 सितंबर को पुरे देश में ‘इंजीनियर्स डे’ (Engineer’s Day) मनाया जाता है। इस दिन को अभियंता दिवस भी कहा जाता है। भारत के महान इंजीनियर विश्वेश्वरय्या  (M Visvesvaraya) की याद में यह दिन मनाया जाता है। भारतरत्न विश्वेश्वरय्या उन सभी लोगों के लिए आदर्श है जो इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते है। आइये जानते है इस दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें….

‘इंजीनियर्स डे’ (Engineer’s Day) मनाने का उद्देश्य

सन 15 सितंबर 1860 को एम विश्वेश्वरय्या (M Visvesvaraya) इनका जन्म मैसूर (कर्नाटक) में हुआ था। इसलिए इनकी जयंती के अवसर पर देश में उनकी याद में ‘इंजीनियर्स डे’ (Engineer’s Day) मनाया जाता है। विश्वेश्वरय्या अत्यंत गुनी इंसान थे। वे भारतीय सिविल इंजिनियर, विद्वान और राजनेता थे। देश के विकास में रचनात्मक कार्य विश्वेश्वरय्या की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस क्षेत्र में अपना अनमोल योगदान दिया है।

विश्वेश्वरय्या के प्रयासों से कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया है। इनके अगिनत प्रयासों के बाद ही मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है। आपको बता दें कि इन इंजीनियर्स का देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस योगदान को याद रखने के लिए देश में इंजीनियर्स के महत्व को समझने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।

 ‘इंजीनियर्स डे’ से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

विश्वेश्वरैया ने 1883 में पूना के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक किया, जिसके कुछ दिन बाद ही उन्हें सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे।

विश्वेश्वरैया ने अपने काम से अलग पहचान बनाई, जिसके कारण उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में इस मौके पर स्टूडेंट्स को उनके अचीवमेंट्स पर अवॉर्ड दिए जाते हैं। 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत का सबसे बड़ा सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।

विश्वेश्वरैया को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद  बेंगलुरु में ‘सेंट्रल कॉलेज’ में दाखिला लिया। फीस जमा करने के पैसे ना होने के कारण उन्होंने ट्यूशन लिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने 1881 में बीए की पढ़ाई के बाद स्थानीय सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के ‘साइंस कॉलेज’ में दाखिला लिया।

1883 की एल.सी.ई. व एफ.सी.ई. (वर्तमान समय की बीई उपाधि) की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। उनकी योग्यता को देखते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया। जिस समय उन्होंने इंजीनियरिंग में अपने करियर की शुरुआत की, तब भारत में ब्रिटिश शासन था।विश्वेश्वरैया ने अपनी योग्यता से प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनके सामने बड़े-बड़े अंग्रेज इंजीनियरों ने भी घुटने टेक दिए थे।

प्राकृतिक जल स्रोतों से घर-घर में पानी पहुंचाने की व्यवस्था और गंदे पानी की निकासी के लिए नाली-नालों की समुचित व्यवस्था उन्होंने ही की। 1932 में ‘कृष्ण राजा सागर’ बांध के निर्माण परियोजना में वो चीफ इंजीनियर की भूमिका में थे। ‘कृष्ण राज सागर’ बांध का निर्माण आसान नहीं था क्योंकि तब देश में सीमेंट तैयार नहीं होता था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इंजीनियर्स के साथ मिलकर ‘मोर्टार’ तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था।

उन्होंने बांध बनवाया और आज भी यह बांध कर्नाटक में मौजूद है। यह बांध उस समय का एशिया का सबसे बड़ा बांध कहा जाता था। इस बांध से कावेरी, हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ नदियां आपस में मिलती है। 1955 में विश्वेश्वरैया को सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।

Engineers day is celebrated in memory of dr visvesvaraya know the special things related to it

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Published On: Sep 15, 2021 | 06:00 AM

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  • Engineers Day

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