शिक्षक आंदोलन में शरद पवार
मुंबई: आजाद मैदान में आज करीब 6 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन किया। इस आंदोलन के जरिए शिक्षक सरकार से मांग कर रहे है कि स्कूलों को सरकारी सहायत प्रदान की जाए। शिक्षकों ने भर्तीयों को लेकर भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि अगर स्कूलों में फंड नहीं होगा तो, स्कूलों का संचालन कैसे होगा। शिक्षकों के इस आंदोलन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार भी शामिल हुए। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि, मैं शिक्षकों के साथ हूं, और उनकी समस्या का समाधान करके ही रहूंगा।
शरद पवार ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन करने वाले शिक्षकों से मुलाकात के बाद मीडिया से बा से कहा कि सरकार को इस मामले में देरी नहीं करनी चाहिए। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने घोषणा के बावजूद उनके स्कूलों को दी जाने वाली अनुदान राशि में वृद्धि नहीं की है। इसके अलावा, जो अनुदान दिया जा रहा है, वह किस्तों में मिल रहा है जिससे स्कूलों के संचालन में कठिनाई हो रही है।
समाधान करने में एक दिन से ज्यादा समय नहीं लेना चाहिए- शरद पवार
पवार ने कहा, राज्य सरकार को इस मुद्दे का समाधान करने में एक दिन से ज्यादा का समय नहीं लेना चाहिए। मैं पिछले 56 वर्षों से विभिन्न विधायी सदनों में काम कर चुका हूं, मुझे पता है निर्णय कैसे लिए जाते हैं। पवार के साथ लोकसभा सदस्य निलेश लंके और विधायक रोहित पवार भी मौजूद थे।
रोहित पवार ने किस्तों में अनुदान जारी करने की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा, वास्तविक वित्तीय आवंटन के बिना आदेश जारी करना बेकार है। ऐसे आदेशों को रद्दी की टोकरी में फेंक देना चाहिए। सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती।शिक्षक बीते चार दिनों से राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षकों का आंदोलन करना महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक
शरद पवार ने कहा, चाहे वह सरकारी हों या अर्ध-सरकारी कर्मचारी, सभी महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक समाज को ज्ञान देने का कार्य करते हैं। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें सम्मानजनक और गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर दें। शरद पवार ने यह भी कहा कि शिक्षक नयी पीढ़ी को आकार देते हैं, ऐसे में महाराष्ट्र के लिए यह अच्छी बात नहीं है कि उन्हें अपनी ‘वाजिब’ मांगों के लिए बारिश में बैठकर आंदोलन करना पड़े।