बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bachhwara Assembly constituency: बिहार के बेगूसराय जिले का बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अपनी विविध राजनीतिक इतिहास और कठिन जातीय समीकरणों के कारण प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र 24-बेगूसराय लोकसभा सीट का हिस्सा है और मिथिला क्षेत्र में गंगा नदी की निकटता यहाँ की संस्कृति और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। इसकी स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, गेहूं और मक्का जैसी फसलों पर निर्भर है। बेगूसराय जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर स्थित होने के बावजूद, यह समस्तीपुर (12 किमी) जैसे शहरों से अधिक जुड़ा हुआ है।
बछवाड़ा सीट पर 1952 से अब तक 17 चुनाव हुए हैं, लेकिन मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं के कारण पिछले छह चुनावों में किसी भी पार्टी को लगातार दो बार जीत नहीं मिली है। वैसे अगर देखा जाए तो कांग्रेस ने सात बार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने पाँच बार जीत हासिल की है, जो यहाँ वाम दलों के मजबूत आधार को दर्शाता है। पिछले चुनाव को देखें तो 2020 में भाजपा के सुरेंद्र मेहता ने CPI के अवधेश राय को मात्र 484 वोटों के बेहद नजदीकी अंतर से हराकर पहली बार सीट जीतने में सफलता पायी है।
बछवाड़ा का चुनावी समीकरण जातीय आधार पर बहुत संवेदनशील है। यहां यादव फैक्टर चलता है। यहाँ यादव समुदाय की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है। पूर्व विधायक अवधेश राय (CPI) इसी समुदाय से आते हैं और 12 में से 11 चुनावों में यादव उम्मीदवार ही जीते हैं।
2020 में भाजपा ने धनुक जाति से आने वाले सुरेंद्र मेहता को उतारा। मेहता मार्च 2024 से बिहार सरकार में खेल मंत्री हैं। यह माना जा रहा है कि भाजपा ने इस सीट को निकालने के लिए जातिगत संतुलन साधा और मंत्री पद देकर विकास के एजेंडे को मजबूत करने की कोशिश की है।
2025 विधानसभा चुनाव से पहले, 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। बेगूसराय से भाजपा के गिरिराज सिंह जीते, लेकिन बछवाड़ा विधानसभा खंड में वह CPI के अभयेश कुमार राय से 4,516 वोट पीछे रहे। यह आँकड़ा स्पष्ट करता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबला कांटे की टक्कर का होगा।
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बछवाड़ा विधानसभा में कुल 3,13,772 मतदाता हैं, जिनमें 1,65,662 पुरुष और 1,48,102 महिला मतदाता हैं। 2025 विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का मूड विकास, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं पर टिका होगा। प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा ने भी यहाँ सभाएं की हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि CPI और अन्य दल मजबूती से वापसी के लिए तैयार हैं। भाजपा को अपनी संगठनात्मक मजबूती और जातिगत समीकरण साधने पर विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि वह अपनी मुश्किल से जीती सीट को बचा सके।