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कंगाली से अर्श तक….’लकी जीप’ से चमकी थी शिबू सोरेन की किस्मत

Shibu Soren Success Story: झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। उनसे जुड़ी एक लकी जीप की दिलचस्प कहानी है। जिससे उन्होंने कंगाली से अर्श तक पहुंचने का सफर तय किया।

  • By आकाश मसने
Updated On: Aug 04, 2025 | 11:14 AM

जीप में बैठे शिबू सोरेन (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Shibu Soren Lucky Jeep Story: झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। वे कई दिन से बीमार थे। लेकिन दुमका के खिजुरिया स्थित उनके आवास पर आज भी एक जीप खड़ी है। यह कोई साधारण जीप नहीं, बल्कि राजनीति की दुनिया में झामुमो को कंगाली से अर्श तक पहुंचाने वाली ‘भाग्यशाली जीप’ है। झामुमो के लोग इसे लक्ष्मीनिया जीप मानते हैं। यही वजह है कि इस जीप को गुरुजी के आवास पर बेहद संभाल कर रखा गया है। 1980 के दशक में पहली बार दुमका से सांसद चुने जाने के बाद शिबू सोरेन मधुपुर स्टेशन से दिल्ली जाने वाली ट्रेन में इसी जीप से सवार हुए थे।

शिबू सोरेन के साथ इस जीप में सवार हुए कई चेहरे आज भी उन दिनों की यादें अपने दिलों में संजोए हुए हैं। दुमका के टीन बाजार में रहने वाले झामुमो के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता अनूप कुमार सिन्हा पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि दुमका ने शिबू सोरेन को न सिर्फ राजनीतिक पहचान दिलाई, बल्कि उन्हें कंगाली से अर्श तक भी पहुंचाया है। जब गुरुजी ने इस क्षेत्र में झामुमो की राजनीति शुरू की, तब संथाल परगना में कांग्रेस का दबदबा था।

शिबू सोरेन की लकी जीप (सोर्स: सोशल मीडिया)

 

महाजनी प्रथा के खिलाफ किया आंदोलन

जल, जंगल और जमीन के मुद्दों को उठाकर अलग झारखंड राज्य के नेता शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन को गति देकर आदिवासियों के दिशोम गुरु बन गए थे। यह दौर वर्ष 1970 का था। 1970-80 का दशक शिबू सोरेन के लिए संघर्ष और आंदोलन का दौर था, लेकिन जब उन्होंने संथाल परगना की धरती पर कदम रखा, तो उन्हें यहां की धरती भा गई। दुमका ने उन्हें राजनीतिक पहचान दिलाई।

शिबू सोरेन ने पहली बार 1980 में दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली पहुंचे। इसके बाद शिबू सोरेन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गुरुजी ने दुमका को अपनी कर्मभूमि बनाया और सत्ता के शिखर तक पहुँचे। यह उनके राजनीतिक कद का ही नतीजा था कि वर्ष 1995 में उन्होंने बिहार सरकार से जैक के रूप में अलग झारखंड राज्य की पहली सीढ़ी लगवाई।

दुमका से पहली बार बने सांसद

अनूप बताते हैं कि वर्ष 1980 में शिबू सोरेन पहली बार दुमका से सांसद चुने गए थे। इससे पहले स्वर्गीय साइमन मरांडी मछली चुनाव चिह्न पर लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। उस समय गुरुजी का चुनाव प्रबंधन चंद कार्यकर्ताओं के जिम्मे था, जिनमें प्रो. स्टीफन मरांडी, विजय कुमार सिंह समेत कई अन्य प्रमुख चेहरे थे। अनूप बताते हैं कि तब अविभाजित बिहार का दौर था और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की राजनीति बिहार से लेकर केंद्र तक छाई हुई थी।

संसद भवन के बाहर शिबू सोरेन (सोर्स: सोशल मीडिया)

दुमका के टिन बाज़ार में बनी थी संघर्ष और आंदोलन की रणनीति

अनूप बताते हैं कि अलग झारखंड राज्य आंदोलन की रणनीति दुमका के टिन बाज़ार स्थित उनके खपरैल वाले घर में बनी थी। गुरुजी जब भी दुमका आते थे, अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर संघर्ष और आंदोलन की रणनीति बनाते थे। अनूप बताते हैं कि उस दौर में संसाधनों की भारी कमी थी।

संथाल परगना का इलाका जंगलों और पहाड़ों से घिरा था। आवागमन के लिए सुगम सड़कें नहीं थीं। ऐसे में, गुरुजी अपने परिवार के साथ एक पुरानी जीप में गांवों का दौरा करते थे। जहां भी रात को रुकते, वहीं रुक जाते। जीप में डीजल खत्म न हो, इसका भी पुख्ता इंतजाम था।

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वे एक प्लास्टिक के डिब्बे में डीजल भरकर रखते और आपात स्थिति में उसका इस्तेमाल करते। कभी-कभी जीप को धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ता था। अनूप कहते हैं कि समय के साथ बहुत कुछ बदल रहा है। पहले उनके बेटे हेमंत सोरेन और अब बसंत सोरेन दुमका से विधायक हैं। गुरुजी के आंदोलन और संघर्ष के बाद अलग राज्य झारखंड भी जवान हो गया है और सत्ता की चाबी झामुमो के पास है।

पहली बार जामा से विधायक चुने गए थे शिबू सोरेन

अनूप बताते हैं कि वर्ष 1984 में गुरुजी कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू से चुनाव हार गए थे। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में शिबू सोरेन ने जामा से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने। 1991 के चुनावों में, झामुमो ने झारखंड की 14 में से छह सीटें अकेले जीतकर सबको चौंका दिया था। इनमें संथाल परगना की तीन सीटें, दुमका, राजमहल और गोड्डा शामिल थीं।

उस समय दुमका से शिबू सोरेन, राजमहल से साइमन मरांडी और गोड्डा से सूरज मंडल चुनाव जीते और ट्रिपल एस के नाम से मशहूर हुए। 1996 में झामुमो ने झारखंड क्षेत्र की 14 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन शिबू सोरेन को छोड़कर बाकी सभी झामुमो उम्मीदवार चुनाव हार गए। अनूप कहते हैं कि शिबू सोरेन का एक बार विधायक और आठ बार सांसद बनना उनकी करिश्माई छवि का नतीजा है।

Shibu soren luck shone because of lucky jeep

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Published On: Aug 04, 2025 | 11:14 AM

Topics:  

  • Jharkhand
  • Jharkhand News
  • JMM
  • Shibu Soren

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