रेलवे ट्रैक पर हाथी। इमेज-एआई
Rail News: झारखंड में जंगली हाथियों की आवाजाही से रेल और सड़क यातायात लगातार प्रभावित हो रहा। चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत मनोहरपुर से झारसुगड़ा रेल खंड में जंगली हाथियों की आवाजाही के चलते 28 दिसंबर तक 18 लोकल ट्रेनों को चार दिनों के लिए रद्द कर दिया गया है। रद्द ट्रेनों में टाटानगर–राउरकेला–टाटानगर मेमू, चक्रधरपुर–राउरकेला–चक्रधरपुर मेमू, टाटा–बड़बिल–टाटा मेमू, टाटा–गुवा–टाटा मेमू, टाटा–चक्रधरपुर–टाटा, और टाटा–खड़गपुर–टाटा मेमू समेत अन्य लोकल ट्रेनें शामिल हैं। ट्रेनें रद्द होने से छोटे स्टेशनों से प्रतिदिन सफर करने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, रेलवे के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है।
इसी रेल मंडल में हाल में वन्यजीव संरक्षण का सकारात्मक उदाहरण भी सामने आया है। हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर बिसरा और बंडामुंडा केबिन ए के बीच 22 हाथियों का झुंड ट्रैक पार कर रहा था। उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रेलवे ने तत्काल 12 लंबी दूरी की ट्रेनों को अस्थायी रूप से रोक दिया। इस त्वरित कार्रवाई से किसी भी प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई।
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने इस सराहनीय पहल के लिए चक्रधरपुर रेल मंडल को सम्मानित किया है। बुधवार देर शाम हाथियों की मौजूदगी के कारण रांची-रामगढ़ को जोड़ने वाले व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर यातायात प्रभावित हुआ। 18 जंगली हाथियों का झुंड अचानक सड़क के पास आ गया। इससे अफरा-तफरी मच गई। एहतियातन पुलिस और प्रशासन ने दोनों ओर से वाहनों को रोक दिया।
रामगढ़ से आने वाले वाहनों को मायाटुंगरी पहाड़ के पास और रांची की तरफ से आने वाले वाहनों को चुटूपालू घाटी में खराबेड़ा क्षेत्र में रोका गया। 1 घंटा एनएच-33 पर आवागमन ठप रहा। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मशाल, टॉर्च एवं सायरन की मदद से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा। बाद में यातायात सामान्य हो सका। बीते एक सप्ताह में हाथियों के हमले में छह लोगों की मौत हो चुकी है।
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असम में ट्रेन संख्या 20507 डीएन सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस हाथियों के झुंड से टकरा गई थी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन का इंजन और पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। राहत की बात रही कि ट्रेन में सवार किसी यात्री को चोट नहीं आई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक आठ हाथियों का झुंड था, जिनमें से अधिकांश मारे गए हैं। घटना उस स्थान पर घटी, जहां हाथियों का गलियारा नहीं है। लोको पायलट ने हाथियों के झुंड को देखकर आपातकालीन ब्रेक लगाए, लेकिन फिर भी ट्रेन उनसे टकरा गई और हादसा हो गया।