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जन्मदिन विशेष: वो झगड़ा जिसकी वजह से हुई ‘योगी’ की सियासी एंट्री, रेस में न होकर भी कैसे सीएम बन गए आदित्यनाथ

आज ही के दिन साल 1972 में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था, वही योगी आदित्यनाथ जो इस समय देश के सबसे बड़े राजनैतिक सूबे के सीएम हैं। उनके सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की कहानी बेहद ही दिलचस्प है।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Jun 05, 2025 | 05:31 AM

योगी आदित्यनाथ (सोर्स- सोशल मीडिया)

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लखनऊ: हर एक तारीख दिनों के पन्ने अपने भीतर हजारों कहानियां समेटे होते हैं। जब कभी उन्हें आज की कसौटी पर परखा जाता है तो उसमें से उस कहानी के कई हिस्से, कई रंग निकलकर सामने आते हैं। ऐसी ही एक कहानी आज यानी की 5 जून की भी है।

वैसे तो इस दिन दुनिया में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं, लेकिन यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज ही के दिन साल 1972 में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था, वही योगी आदित्यनाथ जो इस समय देश के सबसे बड़े राजनैतिक सूबे के सीएम हैं। आज यानी गुरुवार को योगी आदित्यनाथ अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन जीवन के 48 बसंत जी चुके योगी के इस सफर की कई कहानियां आज भी चर्चा में हैं।

योगी के व्यक्तित्व पर अगर करीब से नजर डालें तो योगी कई रंगों में नजर आते हैं। कभी संन्यासी के रूप में तो कभी छात्र नेता के रूप में। कभी गांधीगिरी करते योगी तो कभी अपने सख्त तेवरों से योगी। कभी भावुक होते योगी तो कभी राजनीति में बड़ा उलटफेर कर राजनीतिक पंडितों को चौंका देने वाले योगी, आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक घटनाएं-

एक लड़ाई ने करवा दी सियासी एंट्री

यह घटना कई साल पुरानी है। गोरखपुर के एक इंटर कॉलेज के कुछ छात्र कपड़े खरीदने एक दुकान पर आए और उनका दुकानदार से विवाद हो गया। दुकानदार पर हमला हुआ तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली। दो दिन बाद एक युवा योगी के नेतृत्व में छात्रों ने दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन किया और एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए।

यह योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के तौर पर 15 फरवरी 1994 को अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी। यहीं से एक ‘एंग्री यंग मैन’ ने गोरखपुर की राजनीति में जोरदार एंट्री की।

लोग जुड़ते गए, रुतबा बढ़ता गया

यह वही दौर था जब गोरखपुर की राजनीति पर दो कद्दावर नेताओं हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही की पकड़ कमजोर पड़ रही थी। इसी बीच युवाओं को इस ‘एंग्री यंग मैन’ में हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे महंत दिग्विजयनाथ की ‘छवि’ दिखी और वे उनसे जुड़ने लगे।

अपनी बढ़ती लोकप्रियता के बीच महंत अवैद्यनाथ ने योगी को गोरखनाथ मंदिर की महंत गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के महज चार साल बाद ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना लिया। योगी 1998 में 26 साल की उम्र में गोरखपुर की उसी सीट से लोकसभा पहुंचे जहां से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे।

जमीनी पकड़ ने बनाया मजबूत

योगी ने भले ही छोटी उम्र में गोरखपुर से दिल्ली का रास्ता पकड़ा हो, लेकिन समय के साथ वे राजनीति में मजबूत होते गए। योगी के बारे में अक्सर कहा जाता है कि गोरखपुर में उनकी मजबूती का सबसे बड़ा कारण उनकी जमीनी पकड़ थी। योगी लोगों के बीच रहकर उनकी बात सुनते थे।

अपने इसी अंदाज से वे धीरे-धीरे गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में भी मजबूत होते गए। हिंदू युवा वाहिनी के कारण युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई। लेकिन इस लोकप्रियता के साथ ही योगी पर कई बार तरह-तरह के आरोप भी लगे।

मुसलमानों के लिए किया था धरना

योगी आदित्यनाथ पर मुसलमानों से नफरत करने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन कई ऐसे वाकये भी हैं जब योगी ने मुसलमानों की मदद के लिए पहल की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार जब योगी को पता चला कि बाजार में एक मुस्लिम दर्जी से फिरौती मांगने की शिकायत पर पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है, तो उन्होंने तय किया कि पुलिस के रवैये के खिलाफ वे सड़क पर बैठेंगे। वे तब तक धरने पर बैठे रहे, जब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो गई।

मदरसे की जमीन कराई अतिक्रमण मुक्त

बताया जाता है कि गोरखपुर में एक मदरसे की जमीन पर कुछ स्थानीय बदमाशों ने कब्जा कर लिया था। स्थानीय प्रशासन ने मौलवी की गुहार नहीं सुनी और आखिरकार उन्हें मंदिर में शरण लेनी पड़ी। योगी को स्थिति की जानकारी दी गई। उन्हें यकीन हो गया कि जमीन मदरसे की है, इसलिए उन्होंने आला अधिकारियों से मदरसे की जमीन को मुक्त कराने को कहा।

कैसे रेस में न होकर बने सीएम

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने योगी को चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लड़ा था। पार्टी के बहुमत के बाद भी जब सीएम के नाम पर चर्चा हुई, तो योगी का नाम साफ तौर पर सामने नहीं आया। सीएम की रेस में मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद जैसे नेता आगे थे।

लेकिन योगी आदित्यनाथ के लाखों समर्थक राजधानी लखनऊ पहुंचने लगे। हर एक की मांग थी की सीएम की कुर्सी पर योगी आदित्यानाथ ही विराजमान हों। बीजेपी को यूपी की सत्ता में भी वापसी करनी थी। उसने मौका ताड़ा और योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया।

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तब से वह लगातार यूपी के सीएम की कुर्सी को सुशोभित कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में उनके सीएम बनने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन सफलता राजनीति की परिभाषा बदल देती है। इसीलिए योगी ने सीएम बनकर अपनी योग्यता साबित की।

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Published On: Jun 05, 2025 | 05:31 AM

Topics:  

  • Birthday Special
  • Indian History
  • Indian Politics
  • Yogi Adityanath

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