स्मृति ईरानी (सौजन्य-एएनआई)
नवभारत डेस्क: अमेठी लोकसभा एक ऐसी सीट है, जहां दशकों से कांग्रेस का शासन रहा है, जहां कांग्रेस पार्टी राज करती आई है। ये एक ऐसी सीट है, जहां से कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ तीन बार 1967, 1971 और 1977 हारी थी। इसके बाद यहां से कांग्रेस का शासन शुरू हो गया था।
लेकिन, कांग्रेस को बड़ा झटका तब लगा जब उनसे लोकसभा सीट छीनी गई। ये तब हुआ जब 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के सामने भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने चुनाव लड़ा। स्मृति ईरानी ने अमेठी से चुनाव लड़कर राहुल गांधी को पछाड़ा था और अमेठी में जीत हासिल की थी।
हालांकि, ये ज्यादा दिन नहीं चला और अगले ही चुनाव में पासा पलट गया। 2019 में अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के राहुल गांधी के हराने वाली स्मृति ईरानी को तगड़ा झटका लगा जब उनका सामना 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से हुआ। अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराकर पूरे देश को चौंका दिया।
बात ये तो थी ही कि वे किशोरी लाल शर्मा से हार गई लेकिन बात यह भी थी कि स्मृति की ये हार राहुल गांधी की पिछली हार से बड़ी थी। उनकी इस हार का सीधा असर भारतीय जनता पार्टी पर पड़ा। सभी को विश्वास था कि राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी किशोरी लाल शर्मा को आसानी से हरा देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले किशोरी लाल शर्मा ने पहली बार चुनाव मैदान में उतरकर पासा पलट दिया और स्मृति ईरानी को 1.30 लाख वोट से हराया।
अभी तक परदे के पीछे कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने वाले किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी का अमेठी से पत्ता ही साफ कर दिया। देखा जाए तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराने के बाद कांग्रेस को हल्के में लेने की भूल कर दी, जिसकी वजह से उन्हें ये परिणाम भुगतने पड़े। 5 साल में स्मृति ने लोगों का भरोसा खो दिया।
आपको बता दें, अमेठी वहीं सीट है जहां से राजीव गांधी, सोनिया, राहुल सभी यहां से जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं। 2004 से लगातार अमेठी में राहुल गांधी जीत रहे थे, जिस पर 2019 के लोकसभा चुनाव में ब्रेक लगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 55 हजार वोट से चुनाव जीत लिया और राहुल गांधी की हार हुई थी।
इस जीत के बाद स्मृति ईरानी को देश का बड़ा उम्मीदवार बना दिया। 5 साल में उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन के लिए काम किया लेकिन लोगों से संपर्क करना भूल गई। उन्होंने अमेठी में अपना घर भी बनाया, मगर लोगों के दिल में घर नहीं बना सकीं। स्मृति का आम लोगों से मिलना आसान नहीं था। तो वहीं दूसरे ओर केएल शर्मा सादगी वाले व्यक्ति बने और आम लोगों के साथ स्वयं जाकर जमीनी स्तर पर काम किया।
इस बीच स्मृति कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करती रहीं और कार्यकर्ताओं के बीच उठना-बैठना कम कर दिया था। ज्यादातर समय उन्होंने अमेठी से ज्यादा दिल्ली में गुजारा। वहीं दूसरी ओर किशोरी लाल जमीनी स्तर पर लोगों के बीच जाकर काम किया और लोगों से बातचीत कर उनकी तकलीफ समझी।
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1. कांग्रेस ने भाजपा को टिकट में उलझाकर रखा और वे अंदर ही अंदर तैयारी की। कांग्रेस की ओर से किशोरी लाल शर्मा लंबे समय से अंदर ही अंदर अमेठी सीट पर चुनाव की तैयारियां कर रहे थे।
वहीं, स्मृति ईरानी अपनी जीत को लेकर ओवरकॉन्फिडेंट थीं और भाजपा अमेठी में चुनाव का माहौल सेट करने में असमर्थ रही। 2019 में तो चुनाव में स्मृति ईरानी जीत गई लेकिन 2024 में ऐसा नहीं हुआ। 2024 में वो कैंपेनिंग में अकेली दिख रही थीं। वोटिंग से पहले अमित शाह और CM योगी यहां कैंपेनिंग के लिए पहुंचे जरूर थे लेकिन उसका कोई खासा असर दिखाई नहीं दिया।
2. वहीं दूसरी ओर केएल शर्मा ने नाराज कांग्रेसियों को मनाने में अपना समय दिया। उनके परिवार ने भी गांव-गांव जाकर कैंपेन चलाया। पत्नी-बेटी गांव-गांव कैंपेन करती रहीं। 5 विधानसभा क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं कीं। उन्होंने महिला वोटर्स पर फोकस किया। कांग्रेस के समय में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट, जिन्हें भाजपा ने आगे नहीं बढ़ाया, उनके बारे में लोगों को बताया और दोबारा कांग्रेस सरकार चुनने के लिए अपील की।
दूसरी तरफ, केएल शर्मा ने गांव-गांव में पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संपर्क साधा। ये वो लोग थे, जो अलग-अलग कारणों से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। किशोरी लाल ने उनके साथ खुद बैठक की और दोबारा पार्टी में साथ साथ आने के लिए सभी को मनाया।
3. प्रियंका-राहुल ने लोगों को इमोशनली कनेक्ट किया और 2024 के चुनाव के लिए अखिलेश के साथ जोड़ी बनाई। चुनाव के लिए अखिलेश अमेठी में प्रचार के लिए आए। उन्होंने मुस्लिम-यादव वोटर्स को सीधा कनेक्ट किया और कांग्रेस को वोट करने के लिए कहा। इसके अलावा प्रियंका गांधी अमेठी के लोगों के बीच आती रहीं।
4. प्रियंका गांधी महिलाओं को गले लगाकर कहतीं रही कि हमारा दिल का रिश्ता है, 5 साल वाले इस रिश्ते को तोड़ नहीं सकते। मंच से भी लोगों को सीधे कनेक्ट करती रहीं। राहुल कहते रहे- 12 साल से यहां आ रहा हूं, जब मैं बच्चा था। उनकी इन बातों से लोग कनेक्ट होते गए।
देखा जाए तो अमेठी के लोगों के लिए गांधी परिवार साफ्ट कॉर्नर रहा है। इसके अलावा लोगों के हित में कांग्रेस के लगातार काम देखकर लोगों का मन बदला। यही वजह है कि किशोरी लाल को 54.28% वोट मिले, स्मृति ईरानी 38.49% ही वोट हासिल कर सकीं।
देखा जाए तो लोगों का स्मृति ईरानी की कांग्रेस विरोधी भाषण पसंद नहीं आए क्योंकि एक तरह से कांग्रेस ही थी जो अमेठी में राज करती आई थी। इसके अलावा जीत हासिल करने के बाद स्मृति ईरानी का बदलता रवैया भी लोगों को पसंद नहीं आया।