Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • India vs West Indies |
  • ICC Women’s Cricket World Cup |
  • Sonam Wangchuck |
  • Bihar Assembly Election 2025 |
  • Weather Update |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

जाति आधारित गणना : महाराष्ट्र के इन आंकड़ों को देखकर डर गयी मोदी सरकार, याद आ रहा है मनमोहन सरकार का ‘किस्सा’

मनमोहन सिंह की सरकार के समय में आयी चुनौतियों को देखकर मोदी सरकार जातीय जनगणना के लिए राजी नहीं होती दिख रही है, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए कोई भी राजनीतिक दल खुलकर इसका विरोध नहीं कर पा रहा है, क्योंकि उसको मालूम है कि अगर विरोध करेंगे तो इसका राजनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है।

  • By विजय कुमार तिवारी
Updated On: Sep 23, 2024 | 05:58 PM

कांसेप्ट फोटो

Follow Us
Close
Follow Us:

नई दिल्ली : हमारे देश में जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्ष में अधिक से अधिक दलों ने अपनी सहमति बना ली है, लेकिन केंद्र सरकार इसको कराने में आ रही अड़चन के चलते इससे बचने की कोशिश कर रही है। सरकार का मानना है कि जातिगत आधार पर विभाजित जातियों की संख्या और उससे जुड़े आंकड़ों के अधिक होने की वजह से इसे कराना इतना आसान नहीं है। देश की जातिगत व्यवस्था को लेकर पहले भी की गयी कोशिशों को कोई खास सफलता नहीं मिली है। हमारे देश की जातिगत विविधताओं के चलते यह फैसला इतना आसान नहीं है और जनगणना के परिणाम भी कितने पॉजिटिव आएंगे यह कहना मुश्किल है।

आपको याद होगा कि 1931 के बाद मनमोहन सिंह की सरकार ने 2011 में जनगणना के साथ ही सामाजिक, आर्थिक व जातीय गणना कराई थी, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी करना आसान नहीं है। इसको लेकर तमाम तरह की चुनौतियां हैं। मोदी सरकार ने कहा कि जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने में सबसे बड़ी बाधा जातियों की बढ़ी हुयी संख्या है, जिसमें बेतहाशा तरीके से बढ़ोतरी होती जा रही है।

1931 बनाम 2011
आंकड़ों में देखा जाए तो 1931 की जनगणना में देश में कुल 40,147 जातियां दर्ज की गई थीं। इसी आधार पर मंडल आयोग ने 1980 में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए अपने रिपोर्ट तैयार की थी। 1991 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने इसे लागू भी कर दिया था, लेकिन 2011 की जनगणना में जातियों की संख्या बढ़कर 46.80 लाख हो गई। इसी वजह से 2011 की जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।

सरकार ने दिया महाराष्ट्र का हवाला
हालांकि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र से जुड़े कुछ आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जो चौंकाने वाले थे। सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र की 10.3 करोड़ जनसंख्या में 4.28 लाख जातियां हैं। इनमें से 99% जातियां ऐसी हैं, जिनकी जनसंख्या 100 से भी कम थी। जबकि 2440 जातियों की जनसंख्या 8.82 लाख बताई जा रही है। इसके अलावा इनमें से 1.17 करोड़ यानी लगभग 11% लोगों ने बताया कि उनकी कोई जाति ही नहीं है। ऐसे में इतनी बड़ी जनसंख्या को किस जाति में गिना जाए.. यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

वैसे अगर राजनीतिक रूप से संवेदनशील कहे जाने वाले राजनेताओं की दलीलें देखें और जाति की जनगणना की मांग को समझने की कोशिश करें तो पता चलता है कि यह विशुद्ध रूप से राजनीतिक लाभ के लिए की जाने वाली मांग है, ताकि लोग एक बार फिर से जातिगत आधार पर एकजुट होकर किसी दल के पक्ष में जा सकें। उसी राजनीतिक लाभ के लिए कोई भी राजनीतिक दल खुलकर इसका विरोध नहीं कर पा रहा है, क्योंकि उसको मालूम है कि अगर विरोध करेंगे तो इसका राजनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है।

उस समय खामोश थे लालू
शायद यही कारण था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार साथ होते हुए भी लालू की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनता दल ने 2014 के पहले 2011 की जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने के लिए सरकार पर कोई दबाव नहीं बना पाया था। बिहार में हुए जातीय सर्वे के रूप में जातियों की जो जनगणना की गई है, उसको केवल 214 जातियों तक सीमित रखा गया है। लोगों को इन्हीं 214 जातियों में एक को चुनने का विकल्प दिया गया था, लेकिन आम जनगणना के साथ होने वाली जाति जनगणना में लोगों को सीमित विकल्प नहीं दिए जा सकते।

लोगों को मिलना चाहिए ये ऑप्शन
लोगों का कहना है कि हर नागरिक को अपनी स्वेच्छा से अपनी जाति चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए। इसीलिए इसे एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है। इस मामले में जनगणना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जनगणना के नियमों के तहत लोगों को अपनी जाति बताने के लिए छूट देनी होगी, तभी सही आंकड़ा आएगा। नहीं तो देश की सरकार के द्वारा की गई यह कोशिश एक बार फिर से बेकार साबित होगी और जातियों का सही-सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाएगा।

Why modi government not conducting caste based census

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Sep 23, 2024 | 05:58 PM

Topics:  

  • Census

सम्बंधित ख़बरें

1

नवभारत विशेष: अंततः 1 अक्टूबर से शुरू होगी जनगणना, देश के लिए क्रांतिकारी होगी साबित

2

Census 2027: जनसंख्या जनगणना पर खर्च होंगे ₹14,619 करोड़! गृह मंत्रालय ने की बजट की मांग

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.