(डिज़ाइन फोटो)
नई दिल्ली: जहां एक तरफ कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को लेकर देशभर में डॉक्टर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं इस बाबत डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और अन्य लोगों के विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर सभी राज्यों से गृह मंत्रालय ने कानून व्यवस्था को लेकर अब हर दो घंटे में स्टेट्स रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
जानकारी दें कि दूसरे राज्यों में भी रेप के इस तरह के मामले सामने आने के बाद कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इन सबके बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा फैसला किया है। जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों को हर दो घंटे में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है।
#WATCH | Kolkata, West Bengal: The students and junior doctors continue to protest at the RG Kar Medical College & Hospital.
(Morning visuals from outside the hospital) pic.twitter.com/aOdAZRzueA
— ANI (@ANI) August 18, 2024
#WATCH | Koraput, Odisha: Nursing Employee Association held a protest against Kolkata’s RG Kar Medical College and Hospital rape-murder incident. (17/08) pic.twitter.com/nMxz7wGAd4
— ANI (@ANI) August 18, 2024
इस बाबत राज्य पुलिस बलों को भेजे गए संदेश में गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रदर्शनों के मद्देनजर सभी राज्यों की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखी जानी चाहिए। पुलिस बलों को बीते शनिवार देर रात को भेजे गए संदेश में कहा गया, ”कृपया इस संबंध में कानून और व्यवस्था की स्थिति की हर दो घंटे की रिपोर्ट आज चार बजे से फैक्स/ ईमेल/ व्हाट्सऐप द्वारा गृह मंत्रालय नियंत्रण कक्ष (नयी दिल्ली) को भेजी जाए।”
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इस बाबत गृह मंत्रालय के कंट्रोल रूम अधिकारी मोहन चंद्र पंडित ने इस आदेश को लेकर कहा कि, “यह कदम सुरक्षा की निगरानी करने और स्थिति को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देने के लिए उठाया गया है।”
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गृह मंत्रालय ने राज्य पुलिस बलों को फैक्स और व्हाट्सऐप नंबर तथा ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराई है, जिस पर हर दो घंटे में स्थिति रिपोर्ट भेजी जाएगी। देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रदर्शनकारी स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने, अन्य मांगों के अलावा अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने पर भी जोर दे रहे हैं।