सुरेश प्रभु (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने एक नया पाशा फेंक दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की केंद्र सरकार में भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद (ICFA) के चेयरमैन के रूप में वापसी हुई है। परिषद ने सोमवार को कहा कि वैश्विक क्षेत्र में अनुभव, कई संयुक्त राष्ट्र निकायों में सेवा देने और जी-7 और जी-20 देशों के लिए भारत के शेरपा के रूप में प्रभु आईसीएफए के कृषि व्यापार, प्रौद्योगिकी और कृषि में निवेश को बढ़ावा देने और भारत में खाद्य और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के मिशन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।
इस नई भूमिका में प्रभु का लक्ष्य किसानों को बाजार के अवसरों का लाभ उठाने में मदद करना और नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों, नीति अनुसंधान और वकालत, कृषि व्यवसाय और कृषि व्यापार को बढ़ावा देना है। अपनी नियुक्ति पर प्रभु ने कहा, ‘‘एक साथ, हम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं, बुनियादी ढांचे और आपूर्ति शृंखलाओं में सुधार कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे किसानों को उनकी उपज का उचित मुआवजा मिले।
गौरतलब है कि एक वक्त था सुरेश प्रभु मोदी के कैबिनेट के ताकतवर मंत्रियों में से एक हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ सियासत बदली और प्रभु हांसिये पर चले गए। सुरेश प्रभु 2014 की मोदी सरकार में रेल मंत्री थे। इस दौरान कई ट्रेनें हादसे का शिकार हुईं। ऐसा कहा जाता है कि रेल हादसों से हुए डैमेज को कंट्रोल करने के लिए रेल मंत्रालय सुरेश प्रभु से ले लिया गया। इसके बाद 2017 में, सुरेश प्रभु को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का प्रभार दिया गया। हालांकि वर्तमान सरकार में उनके पास कोई मंत्रालय नहीं है।
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सुरेश प्रभु महाराष्ट्र के राजापुर लोकसभा क्षेत्र से आते हैं। हालांकि वह आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बीच सुरेश प्रभु की केंद्र सरकार में वापसी हुई है। सुरेश प्रभु के वापसी से भाजपा ने एक तीर से दो निशाना साधा है। पहला ये है कि सुरेश प्रभु भाजपा के पुराने नेता हैं उनकी लुटियन दिल्ली में वापसी हो गई। दूसरा ये है कि महाराष्ट्र के नेता को अहमियत देकर सूबे की जनता को चुनावी संदेश दिया है।