Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • चुनाव
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो

  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

आज है ‘कबीर दास जयंती’, समाज की कुरीतियों पर हथौड़े की तरह प्रहार करते हैं उनके दोहे, ज़रूर जानें

संत कबीरदास ने अपने दोहों के जरिए लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया। साथ ही धर्म के कट्टरपंथ पर तीखा प्रहार किया था।

  • By navabharat
Updated On: Jun 10, 2025 | 06:15 PM
Follow Us
Close
Follow Us:

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: कबीरदास जयंती (Kabirdas Jayanti Date 2023) इस साल आज यानी 4 जून, रविवार के दिन है। ये जयंती हर साल ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। जानकारों के अनुसार, संत कबीरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे। कबीरदास जी न सिर्फ एक संत थे बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए कई दोहे और कविताओं की रचना की। कबीरदास जी हिंदी साहित्य के ऐसे कवि थे, जिन्होंने समाज में फैले आडंबरों को अपनी लेखनी के जरिए उस पर कुठाराघात किया था।

संत कबीरदास जी ने आजीवन समाज में फैली बुराइयों और अंधविश्वास की निंदा करते रहे। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से जीवन जीने की कई सीख दी हैं। आज भी लोग इनके दोहे गुनगुनाते हैं। ऐसे में आइए जानें कबीरदास जी के जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में-

कबीरदास शिक्षित नहीं थे। लेकिन उन्होंने सारे संसार को शिक्षा का पाठ पढ़ाया है। उन्होंने अपने दोहे इतनी सरल भाषा में कहे कि वह आम जन के बीच गाए जाने लगे। कबीरदास को संत और समाज सुधारक माना जाता है। उनकी मृत्यु से जुड़ा हुआ एक किस्सा प्रचलित है, कहा जाता है कि जब कबीरदास जी की मृत्यु हुई तो वह काशी को छोड़कर मगहर चले गए थे। क्योंकि लोगों कि ऐसी मान्यता थी कि लोग काशी में होने से मोक्ष की प्राप्ती होती है लेकिन मगहर में मृत्यु होने से नरक मिलता है। कबीर दास धर्म से अधिक कर्म में विश्वास रखते थे।

संत कबीरदास ने अपने दोहों के जरिए लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया। साथ ही धर्म के कट्टरपंथ पर तीखा प्रहार किया था। इन्होंने समाज को सुधारने के लिए कई दोहे कहे। इसी वजह से ये समाज सुधारक कहलाए।

कहा जाता है कि कबीर जी को मानने वाले लोग हर धर्म से थे, इसलिए जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों में विवाद होने लगा। कहा जाता है कि इसी विवाद के बीच जब शव से चादर हटाई गई तो वहां पर केवल फूल थे। इन फूलों को लोगों ने आपस में बांट लिया और अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया।

कबीर दास जी के जन्म के विषय में कई मतभेद मिलते हैं। कुछ तथ्यों के आधार पर माना जाता है कि इनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था, लेकिन लोक-लाज के भय से उसने कबीरदास को काशी के समक्ष लहरतारा नामक तालाब के पास छोड़ दिया था। इसके बाद उस राह से गुजर रहे लेई और नीमा नामक जुलाहे ने इनका पालन-पोषण किया। वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि कबीरदास जन्म से ही मुस्लिम थे और इन्हें गुरु रामानंद से राम नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ था।

Today is kabir das jayanti his couplets attack the evils of the society like a hammer must know

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Jun 04, 2023 | 06:00 AM

Topics:  

  • Kabirdas Jayanti

सम्बंधित ख़बरें

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy Terms & Conditions
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.