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तेलंगाना : आज तेलंगाना दिवस है। मतलब आज ही के दिन साल 2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना को अलग कर भारत का 29वां राज्य बनाया गया था। ऐसे में आज हम तेलंगाना दिवस के अवसर पर कुछ रोचक तथ्यों को जानेंगे।
दरअसल, 1956 में जब भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ, तो तेलंगाना को आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया था। उस समय ज्यादातर तेलंगाना वासियों ने इस फैसले का विरोध किया। उनका डर था कि आंध्र प्रदेश के शक्तिशाली तबके द्वारा उनके संसाधनों और अवसरों पर कब्जा कर लिया जाएगा।
ये आशंकाएं जल्द ही हकीकत बन गईं। रोजगार, शिक्षा, सिंचाई, बजटसब कुछ आंध्र क्षेत्र के पक्ष में झुका हुआ था। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर खेतों में मेहनत करने वाले किसानों तक, हर कोई खुद को उपेक्षित महसूस करने लगा।
1969 में पहली बार तेलंगाना की जनता ने खुलकर आवाज उठाई। डॉ. मरी चेन्ना रेड्डी द्वारा गठित तेलंगाना प्रजा समिति (TPS) के नेतृत्व में छात्रों और युवाओं ने ‘जय तेलंगाना’ के नारे के साथ सड़कों पर उतरना शुरू किया। लेकिन यह आंदोलन समय के साथ धीमा पड़ गया, और लोगों की उम्मीदें एक बार फिर दबा दी गईं।
1969 में हुए पहले आंदोलन के बाद कुछ वर्षों के लिए यहां के लोग खामोश रहे और फिर 2001 में एक नई ऊर्जा के साथ आंदोलन ने फिर से रफ्तार पकड़ी। इस बार नेतृत्व कर रहे थे के. चंद्रशेखर राव (KCR), जिन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) की स्थापना की। KCR के नेतृत्व में यह लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जन आंदोलन बन गई।
गांव-गांव में रैलियां हुईं, महिलाएं और बुज़ुर्ग भी इस संघर्ष में जुड़ने लगे। लेकिन आंदोलन को निर्णायक मोड़ तब मिला, जब दिसंबर 2009 में KCR ने आमरण अनशन शुरू किया। 11 दिनों तक उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया। उनकी यह कुर्बानी और जनता का जबरदस्त समर्थन केंद्र सरकार पर भारी पड़ा।
आखिरकार, केंद्र सरकार ने आंदोलन की गूंज को सुना और 2014 में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया। 2 जून 2014 को तेलंगाना आधिकारिक रूप से भारत का 29वां राज्य बन गया। हैदराबाद को राजधानी घोषित किया गया। यह दिन उन सभी लोगों की जीत थी, जिन्होंने दशकों तक अपने हक की लड़ाई लड़ी थी।
आज, तेलंगाना को बने 11 साल पूरे हो गए हैं। इन वर्षों में राज्य ने तेजी से प्रगति की है, विशेषकर आईटी, कृषि, सिंचाई, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में। हैदराबाद आज न सिर्फ टेक्नोलॉजी हब है, बल्कि चारमीनार से लेकर टैंक बंड तक संस्कृति और आधुनिकता का संगम बन चुका है।
आपको जानकारी के लिए बताते चलें कि 2014 के आंध्र प्रदेश रिऑर्गनाइजेशन एक्ट के कारण हैदराबाद 2 जून से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की साझा राजधानी नहीं रही। 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा होने के बाद हैदराबाद को 10 साल के लिए दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया था। फिर 10 साल बाद में अमरावती को आंध्र प्रदेश का राजधानी बनाया गया और हैदराबाद तेलंगाना का ही राजधानी बना रहा।
तेलंगाना दिवस पर राज्यभर में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, राज्य की प्रगति पर भाषण देते हैं, और समाज के उत्कृष्ट सेवकों को सम्मानित किया जाता है। स्कूलों में विशेष कार्यक्रम, नृत्य-गान और इतिहास पर आधारित नाटकों का आयोजन होता है।