17 छात्राओं के यौन शोषण का आरोपी चैतन्यनंद, फोटो- सोशल मीडिया
Delhi Ashram Case: दिल्ली में छात्राओं से यौन शोषण के आरोपी स्वयंभू बाबा चैतन्यनंद सरस्वती की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस को चौंकाने वाले खुलासे हाथ लगे हैं। इस तथाकथित बाबा ने पहचान बदलने और फरार रहने के लिए ऐसी ट्रिक्स अपनाईं जो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगतीं।
जांच में सामने आया कि चैतन्यनंद के पास दो अलग-अलग नामों से पासपोर्ट थे- एक पर नाम ‘स्वामी पार्थ सारथी’ और दूसरे पर ‘स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती’। इतना ही नहीं, दोनों पासपोर्ट में अलग-अलग जन्मस्थान (दार्जिलिंग और तमिलनाडु) और मां-बाप के नाम दर्ज थे। उसके पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों में भी जानकारी अलग-अलग पाई गई।
चैतन्यनंद जुलाई में विदेश चला गया था। 6 अगस्त को दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट की 17 छात्राओं, जिनमें से कई आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से थीं, ने यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद वह फरार हो गया और मथुरा, वृंदावन, आगरा जैसे शहरों में सस्ते होटलों में रुकते हुए पुलिस को चकमा देता रहा।
27 सितंबर की रात को पुलिस को सूचना मिली कि वह आगरा के ताजगंज इलाके के एक होटल में ‘पार्थ सारथी’ नाम से ठहरा है। पुलिस ने सुबह 3:30 बजे दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से मोबाइल, आईपैड और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। एफआईआर में दर्ज है कि बाबा रात में छात्राओं को बुलाता था, आपत्तिजनक मैसेज भेजता था और तीन महिला सहयोगियों की मदद से छात्राओं को चुप कराता था। वह मोबाइल से हॉस्टल और संस्थान के सीसीटीवी कैमरों की लाइव फीड देखता था ताकि छात्राओं की हर हरकत पर नजर रख सके।
गिरफ्तारी के बाद बाबा के पास से ऐसे विजिटिंग कार्ड मिले जिनमें उसे संयुक्त राष्ट्र और ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों का प्रतिनिधि बताया गया था। उसने यह प्रचार भी किया कि उसके प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधे संबंध हैं, जिससे संस्थान में उसका प्रभाव बना रहा।
बाबा के नाम कई फर्जी बैंक खाते मिले हैं। एफआईआर के बाद भी उसने 50 लाख रुपये की निकासी की। पुलिस ने आठ करोड़ रुपये की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है, जिसमें फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य निवेश शामिल हैं।
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फिलहाल बाबा पांच दिन की पुलिस रिमांड में है। पुलिस अब उसकी महिला सहायिकाओं से आमने-सामने पूछताछ करेगी और संभवतः पीड़ित छात्राओं के सामने भी ले जाया जाएगा। छात्राओं ने गिरफ्तारी पर राहत की सांस ली है, लेकिन वे कहती हैं कि असली न्याय तब होगा जब बाबा को सख्त से सख्त सजा मिले। एक छात्रा ने कहा, “उम्रकैद जैसी सजा ही ऐसे लोगों के लिए सबक बनेगी।”