यूट्यूबर सवुक्कु शंकर (सौजन्य सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गांजा रखने के मामले में यूट्यूबर ‘सुवुक्कू’ शंकर को गुंडा अधिनियम के तहत तमिलनाडु पुलिस द्वारा फिर से हिरासत में लिए जाने का बुधवार को संज्ञान लिया। यूट्यूबर शंकर को मई में दर्ज इस मामले में तमिलनाडु पुलिस ने सोमवार को फिर से हिरासत में ले लिया। जबकि, इससे चार दिन पहले ही मद्रास हाई कोर्ट ने चेन्नई सिटी के पुलिस आयुक्त के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसके तहत शंकर को गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था।
मद्रास हाई कोर्ट ने कोयंबटूर केंद्रीय कारागार में बंद यूट्यूबर के किसी अन्य मामले में आरोपी न होने की सूरत में उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने भी 18 जुलाई को शंकर को रिहा करने का आदेश दिया था। अब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शंकर की ओर से अपनी हिरासत के विरोध में दायर नयी याचिका का संज्ञान लिया है।
इस याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा शंकर को रिहा करने का आदेश जारी करने के बाद भी तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया है। मामले को लेकर शंकर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने कहा, “मेरे मुवक्किल को सभी मामलों में जमानत मिल गई और अब तमिलनाडु पुलिस ने उसे फिर से हिरासत में ले लिया है।”
यूट्यूबर शंकर की नयी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “हमने सभी 16 प्राथमिकी में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की है। कृपया सभी प्राथमिकी का विस्तृत विवरण भी दाखिल करें।”
कोयंबटूर पुलिस ने एक यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए यूट्यूबर शंकर (48) को चार मई को दक्षिणी थेनी से गिरफ्तार किया था। थेनी पुलिस ने शंकर के खिलाफ गांजा रखने का मामला भी दर्ज किया है। शंकर तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के कड़े आलोचक माने जाते हैं। उन्होंने अदालत में कहा था कि कोयंबटूर जेल में उन पर हमला किया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)