SC में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज
Supreme Court Judgment on Justice Verma: सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस वर्मा ने इस याचिका के ज़रिए खुद पर हो रही जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी, जिसमें उनके ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े फैसलों को असंवैधानिक बताया गया था। कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जांच समिति ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया है और वर्मा का आचरण भरोसेमंद नहीं लगता।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने साफ कहा कि जस्टिस वर्मा की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है। साथ ही तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र भी पूरी तरह संवैधानिक और प्रक्रिया के अनुरूप माना गया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो कदम उठाए गए, वो गंभीरता से विचार के बाद लिए गए हैं।
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब 14 मार्च की रात दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे। उनके परिवार ने फायर ब्रिगेड को बुलाया और आग पर काबू पाया गया। इसके बाद मीडिया में ऐसी खबरें सामने आईं कि घर में भारी मात्रा में नकदी देखी गई है, जिससे मामल बेहद ही नाजुक हो गया। हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम में एक नया मोड़ तब आया जब दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ अतुल गर्ग ने स्पष्ट रूप से कहा कि “आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम को किसी भी तरह की नकदी नहीं मिली थी।” इस बयान ने पूरे मामले में संदेह की एक नई लकीर खड़ी कर दी, जिससे जांच की प्रक्रिया और ज्यादा जटिल होती चली गई।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की बैठक बुलाई, जिसमें जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट करने का प्रस्ताव लाया गया। साथ ही इस पूरे मामले की जांच दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी गई। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की गई। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि जस्टिस वर्मा को कैश कांड में क्लीन चिट नहीं मिली है। कोर्ट ने यह भी माना कि उनकी याचिका विचार योग्य नहीं है क्योंकि उनका आचरण विश्वास नहीं जगाता है।