शशि थरूर, फोटो- सोशल मीडिया
Shashi Tharoor Christmas Messege: क्रिसमस 2025 के पावन अवसर पर देश के कुछ हिस्सों से ईसाई समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा की खबरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इन घटनाओं को केवल एक समुदाय नहीं, बल्कि भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत और संवैधानिक स्वतंत्रता पर प्रहार बताया है।
शशि थरूर ने सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा को एक संदेश दिया है। उन्होंने महाभारत के उस ऐतिहासिक प्रसंग का स्मरण कराया जब कौरव सभा में द्रौपदी का अपमान हो रहा था। थरूर ने लिखा कि उस समय पितामह भीष्म और गुरु द्रोण जैसे वरिष्ठ जन मौन रहे, लेकिन अन्याय के खिलाफ पहली आवाज कौरवों के बीच से ही ‘विकर्ण’ ने उठाई थी, जिसने इसे अधर्म करार दिया था। थरूर ने इसी संदर्भ में कहा कि वह केंद्र की सत्ता में बैठी जिम्मेदार पार्टी के भीतर से किसी एक ऐसे ‘विकर्ण’ की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो आगे आकर इन हमलों की निंदा करने का साहस दिखाए।
थरूर ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब किसी एक धर्म की परंपराओं को निशाना बनाया जाता है, तो वह केवल उस समुदाय पर नहीं, बल्कि ‘हम सब’ पर हमला होता है। उन्होंने केरल के पलक्कड़ में कैरल गाने वाले समूह पर हुए हमले का विशेष उल्लेख किया। थरूर के अनुसार, यह समय ईसाई भाइयों के साथ एकजुटता दिखाने और संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मजबूती से खड़े होने का है। उन्होंने केरल की राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि सभी समुदायों की धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना ही वहां की ‘आत्मा’ है।
हालांकि पूरे देश में क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, लेकिन राजस्थान के नागौर और केरल के पलक्कड़ जैसी जगहों से धमकाने और विवाद की खबरें सामने आईं। इन खबरों के अनुसार, कुछ लोगों ने कथित तौर पर ईसाई समुदाय को उत्सव मनाने से रोकने या डराने की कोशिश की। थरूर ने साझा किया कि वह स्वयं पिछले 17 साल से सांसद के तौर पर क्रिसमस ईव पर चर्च जाते रहे हैं ताकि अपने क्षेत्र के लोगों के साथ एकजुटता दिखा सकें।
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एक ओर जहां थरूर ने हमलों पर चिंता जताई, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं दिल्ली के कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन में जाकर क्रिसमस की प्रार्थना में भाग लिया। वहाँ बिशप डॉ. पाल स्वरूप ने प्रधानमंत्री के लिए विशेष प्रार्थना करवाई। थरूर का तर्क है कि एक तरफ प्रधानमंत्री का चर्च जाना सकारात्मक है, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी नेतृत्व को जमीनी स्तर पर हो रहे दुर्व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करनी चाहिए ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।