भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (फोटो- सोशल मीडिया)
Sadhvi Pragya Singh Expose on Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में 17 साल बाद एनआईए की विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जेल में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि मुझे इतना प्रताड़ित किया गया कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ATS के अधिकारियों ने मुझे 13 दिनों तक अवैध रूप से रखा। इस हिरासत के दौरान मुझे इतना प्रताड़ित किया गया जितनी यातनाएं दी गई उनके लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि अत्याचारों के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे, शब्दों की भी एक मर्यादा होती है।
2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट पर अभी फैसला आया है जिसमें साध्वी प्रज्ञा सहित सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया। अब इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ने कई बडे खुलासे किये है जिसमें उन्होंने कहा कि उन पर नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत जैसे तमाम बडे लीडर का नाम लेने का दबाव बनाया गया था।
साध्वी प्रज्ञा ने आगे कहा, “मुझ पर नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत, सुदर्शन, इंद्रेश, रामजी माधव जैसे लोगों के नाम लेने का दबाव डाला गया। वे कहते रहे कि अगर तुम इन लोगों का नाम लोगी, तो हम तुम्हें नहीं मारेंगे। उनका मुख्य उद्देश्य मुझे प्रताड़ित करना था। मुझसे झूठ बोलने के लिए कहा जा रहा था। इसलिए मैंने किसी का नाम नहीं लिया।
पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि इन लोगों ने जेल में मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, घोर प्रताड़ित करने के बाद बहुत कुछ कहलवाने की कोशिश की, लेकिन मैंने असत्य नहीं बोला। देश को डरने की जरूरत नहीं है। एक देशभक्त अपने देश के लिए जीता और मरता है। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि एटीएस के कई अधिकारियों ने कानून की आड़ में गैरकानूनी काम किए हैं। मुझे जेल में मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
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प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अदालत के फैसले पर कहा कि यह भगवा की जीत है। धर्म की विजय और सनातन धर्म की विजय। हालाँकि, इन लोगों में हमें हराने की ताकत नहीं है। इन लोगों ने भगवा और हिंदू धर्म को प्रताड़ित करके बदनाम करने का घिनौना प्रयास किया है। हम ऐसे लोगों को सज़ा दिलाने की कोशिश करेंगे। यह पूरा मामला मनगढ़ंत था, इसका कोई आधार नहीं था। सच्चाई सामने आ गई है और साबित हो गई है, इस मामले में भी यही हुआ।