Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • यूटिलिटी न्यूज़
  • फैक्ट चेक
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो

  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • होम
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

नहीं रहेगी अरावली तो पाकिस्तान में होगी राजस्थान के हिस्से की बारिश, बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे लोग

Supreme Court ने अरावली की नई परिभाषा को मंजूरी दी है। अब राजस्थान की 1.50 लाख से अधिक पहाड़ियों पर खनन का खतरा मंडरा रहा है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि अरावली न रही तो राजस्थान बूंद-बूंद को तरसेगा।

  • By प्रतीक पांडेय
Updated On: Dec 20, 2025 | 01:28 PM

अरावली की पहाड़ियां, फोटो- सोशल मीडिया

Follow Us
Close
Follow Us:

Aravalli Hills Controversy: दिल्ली से गुजरात तक 700 किलोमीटर में फैली दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वतमाला ‘अरावली’ अब एक कानूनी परिभाषा के फेर में फंसकर अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वन पर्यावरण मंत्रालय की उस सिफारिश को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत केवल 100 मीटर से ऊंची चोटियों को ही अरावली माना जाएगा।

इस फैसले ने पर्यावरणविदों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि इसके कारण राजस्थान की लगभग 90% पहाड़ियां सुरक्षा घेरे से बाहर हो जाएंगी, जिससे खनन माफियाओं को ‘वैध हथियार’ मिल सकता है। आरावली को नुकसान पहुंचाए जाने को पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बताया जा रहा है।

100 मीटर का गणित: 1.60 लाख में से सिर्फ 1048 सुरक्षित

नई परिभाषा के लागू होने से राजस्थान में मौजूद अरावली की विशाल संरचना का गणित पूरी तरह बदल गया है। आंकड़ों के अनुसार:

• राजस्थान में अरावली की कुल 1.60 लाख चोटियां मौजूद हैं।
• नई परिभाषा की 100 मीटर की शर्त को इनमें से केवल 1,048 चोटियां ही पूरी कर पाती हैं।
• इसका अर्थ है कि 90% से ज्यादा पहाड़ियां अब अरावली के कानूनी दायरे से बाहर हो जाएंगी, जिससे उन पर अवैध खनन को रोकना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
• रिपोर्ट्स बताती हैं कि राजस्थान में पहले ही करीब 25% अरावली नष्ट हो चुकी है और अकेले अलवर में 128 में से 31 पहाड़ियां पूरी तरह समतल हो चुकी हैं।

मानसून का पलायन: राजस्थान की बढ़ेगी प्यास और पाकिस्तान में बारिश

भूगोल विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अरावली केवल पत्थर का ढेर नहीं, बल्कि राजस्थान की जलवायु का नियंत्रक है।

• प्राकृतिक अवरोध: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाएं अरावली की घुमावदार संरचना से टकराकर प्रदेश में बारिश करती हैं।
• विनाशकारी प्रभाव: यदि ये पहाड़ियाँ (विशेषकर छोटी चोटियां) खत्म हो गईं, तो मानसून बिना टकराए सीधे आगे निकल जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी स्थिति में हमारे हिस्से की बारिश पड़ोसी देश पाकिस्तान में होगी और राजस्थान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा।

जल सुरक्षा पर प्रहार: 20 लाख लीटर सालाना रिचार्ज का नुकसान

अरावली को राजस्थान की ‘लाइफ लाइन’ कहा जाता है क्योंकि यह न केवल सतही जल बल्कि भूजल का भी मुख्य स्रोत है:

• ग्राउंडवाटर रिचार्ज: अरावली की विशेष भूगर्भीय संरचना सालाना 20 लाख लीटर प्रति हेक्टेयर भूमिगत जल को रिचार्ज करने की क्षमता रखती है।
• नदियों का उद्गम: चंबल, बनास, साबरमती (सहाबी), कासावती और मोरेल जैसी महत्वपूर्ण बरसाती नदियां इसी पर्वतमाला की शिराओं से निकलने वाले पानी से जीवित रहती हैं।
• कृषि पर संकट: पूर्वी राजस्थान की पूरी खेती और पशुपालन इन नदियों और अरावली से मिलने वाले पानी पर निर्भर है। पहाड़ गायब होने से पीने लायक पानी के बचे हुए 32 ब्लॉक्स भी खतरे में पड़ जाएंगे।

रेगिस्तान का विस्तार और प्रदूषण की मार

अरावली एक ‘ग्रीन वॉल’ की तरह काम करती है जो थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है:

• धूल भरी आंधियां: यह पहाड़ियां नीमकाथाना, कोटपूतली और अलवर से उड़ने वाली धूल और जानलेवा कार्बन पार्टिकल्स को दिल्ली और हरियाणा की ओर बढ़ने से रोकती हैं।
• बढ़ता प्रदूषण: यदि पहाड़ियां समतल होती हैं, तो जयपुर, दिल्ली और भिवाड़ी जैसे शहरों का हाल और भी बदतर हो जाएगा, जहाँ बिना मास्क के सांस लेना दूभर होगा।

जैव विविधता और अभयारण्यों का  होगा अंत

अरावली केवल पत्थर नहीं, बल्कि दुर्लभ औषधीय पौधों और वन्यजीवों का घर है। राजस्थान के प्रसिद्ध अभयारण्य जैसे रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा और झालाना इसी पर्वत श्रृंखला की देन हैं। पहाड़ियों के नष्ट होने से इन जंगलों का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) पूरी तरह बिगड़ जाएगा, जिससे वन्यजीवों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: अगर अरावली नहीं रही तो क्या होगा? SC के फैसले के बाद लोगों में उबाल क्यों है? जानिए सबकुछ

सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान में नए खनन पर रोक लगाई है, लेकिन अवैध खनन अब भी धड़ल्ले से जारी है। पर्यावरणविदों का मानना है कि पहाड़ियों को केवल ऊंचाई के पैमाने पर मापना वैज्ञानिक रूप से गलत है, क्योंकि छोटी पहाड़ियां भी पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा होती हैं।

Rajasthans monsoon will rain in pakistan if aravalli hills range broken sc order

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Dec 20, 2025 | 01:28 PM

Topics:  

  • Rajasthan News
  • Supreme Court

सम्बंधित ख़बरें

1

अगर अरावली नहीं रही तो क्या होगा? SC के फैसले के बाद लोगों में उबाल क्यों है? जानिए सबकुछ

2

Year Ender 2025: आवारा कुत्तों पर लगाम से…निठारी कांड तक, SC के वो फैसले जिससे बदली कानून की दिशा

3

उज्जैन महाकाल लोक विस्तार के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, बोला-तकिया मस्जिद के…

4

दौलत के लिए भिड़े महाराणा के वंशज, SC पहुंचे लक्ष्यराज मेवाड और बहन पद्मजा, जानिए क्या है पूरा विवाद

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy Terms & Conditions Author
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.