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नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच पिछले कुछ सालों में कई बड़े रक्षा सौदे हुए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच डिफेंस रिलेशन मजबूत हुआ है। लेकिन अब फ्रांस की एक गलती सारे संबंध चौपट कर सकती है। ओपन मैग्जीन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस भारत को राफेल फाइटर जेट का ‘सोर्स कोड’ देने के लिए राजी नहीं हो रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस सोर्स कोड के बिना भारत राफेल फाइटर जेट को अपने स्वदेशी हथियारों से लैस नहीं कर सकता है। अब इस मामले के कारण दोनों देशों के रक्षा संबंध खतरे में पड़ गए हैं, मुमकिन है कि भारत एक बार फिर से अपने पारंपरिक दोस्त रूस की ओर जाए।
भारत ने यह योजना बनाई थी कि 2016 में फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल लड़ाकू विमानों को देसी मिसाइलों से लैस किया जाएगा। इनमें Astra MKI, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन-SAAW और ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलें शामिल हैं। हालांकि, इन सभी मिसाइलों को राफेल से जोड़ने के लिए सोर्स कोड की आवश्यकता होती है।
राफेल में पहले से लगे मॉड्यूलर मिशन कंप्यूटर, हार्डवेयर तथा रडार सिस्टम के सॉफ्टवेयर फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट तथा थालेस के हैं। अब राफेल में कोई भी बदलाव करना हो, तो इनके परमिशन की जरूरत होती है। लेकिन भारत नहीं चाहता कि वो इन पर निर्भर रहे, यही कारण है कि फ्रांस से ‘सोर्स कोड’ मांगा गया था।
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• फ्रांसीसी कंपनी के अड़ियल रवैये की वजह से भारत राफेल जेट में स्वदेशी मिसाइल सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक नहीं जोड़ पा रहा है.
• सोर्स कोड किसी भी फाइटर जेट का मूल सॉफ्टवेयर होता है, इसके जरिए उसमें अन्य तकनीकों का समावेश संभव होता है।
• राफेल में ब्रह्मोस मिसाइल, भारतीय रडार तथा सेटेलाइट नेटवर्क को जोड़ने के लिए भारत को बार-बार फ्रांस की मंजूरी लेनी पड़ रही है।
बता दें कि इस तकनीकी निर्भरता ने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को बड़ा झटका दिया है, जिससे अब भारत राफेल मरीन डील को रद्द करने को लेकर गंभीरता से विचार कर रहा है।