प्रदूषण (कांसेप्ट फोटो- सौ. से सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : भारत में प्रदूषण की स्थिति बहुत बेकार और अनियंत्रित हो गई हैं। प्रदूषण के कारण न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर बल्कि कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच जाने से लोगों का दम घुट रहा है। स्वच्छ हवा में सांस न ले पाने के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रदूषण श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और यदि नियंत्रित नहीं किया गया तो अगले पांच वर्षों में यह गंभीर हो सकता है। इसके अलावा प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव आंख, कान, गले और त्वचा सहित शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों पर देखा जा सकता है।
वायु प्रदूषण (कांसेप्ट फोटो- सौ. से सोशल मीडिया)
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के वायु प्रदूषण विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है कि 2006 के बाद से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। वहीं, अगर हम अक्टूबर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता पर नजर डालें इस साल इस महीने तक दिल्ली की हवा अभी भी बेहद खराब से खराब स्थिति में है। बिहार, यूपी, पंजाब, हरियाणा, एमपी समेत कई राज्य हैं जहां प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
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दिवाली के बाद से दिल्ली एनसीआर में सुबह-शाम स्मॉग छाया हुआ है। इस स्थिति के कारण सांस लेते ही नाक और सांस में जलन होने लगती है। हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषण जमीन से कुछ मीटर ऊपर ही रह जाता है। अगर यही स्थिति रही तो अगले 5 साल में दिल्ली और एनसीआर के कुछ हिस्से प्रभावित होंगे क्योंकि राज्य सरकार, एमसीडी और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का कोई खास असर नहीं होगा। इस मौसम में रहने के लिए यह एक आरामदायक जगह होगी। वहीं WHO का मानना है कि जिन इलाकों में 100 फीसदी भारतीय आबादी रहती है, वहां पीएम 2.5 का स्तर WHO की गाइडलाइंस को पुरा नहीं करता। यहां प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि कुछ ही दिनों में गंभीर बीमारी हो सकती है।
हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच जाने से लोगों का दम घुट रहा है (कांसेप्ट फोटो- सौ. से सोशल मीडिया)
कई रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि प्रदूषण बढ़ने से आने वाले कुछ सालों में दिल, फेफड़े, लिवर, ब्लैडर, हड्डियों, त्वचा की बीमारियां बढ़ने के साथ ही डायबिटीज टाइप टू, दिल संबंधी रोग, किडनी, आर्थराइटिस, गर्भ धारण करने की क्षमता का घटते जाना, भ्रूण, मेंटल डिसऑर्डर, तनाव-डिप्रेशन, अपराधीकरण की मानसिकता आदि तेजी से बढ़ेगी। दिल्ली में बीमारों की संख्या बेतहाशा बढ़ेगी।