नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) की 125वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नई दिल्ली में इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। बता दें कि, ग्रेनाइट से निर्मित एक प्रतिमा तैयार होने पर वह होलोग्राम प्रतिमा की जगह लेगी। उद्घाटन समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती पर पूरे देश की तरफ से मैं आज कोटि-कोटि नमन करता हूं। ये दिन ऐतिहासिक है, ये कालखंड भी ऐतिहासिक है और ये स्थान जहां हम सब एकीकृत हैं ये भी ऐतिहासिक है।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi unveils hologram statue of Netaji Subhas Chandra Bose at India Gate on his 125th birth anniversary #ParakramDiwas pic.twitter.com/XmKJ6LuhNk — ANI (@ANI) January 23, 2022
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया था, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा आज डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा भी लगेगी।
पीएम मोदी ने कहा, नेताजी कहते थे “कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।” आज हमारे सामने आज़ाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। मोदी ने कहा, आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, हमारे देश में वर्षों तक आपदा का विषय कृषि विभाग के पास रहा था। उन्होंने कहा, “इसका मूल कारण ये था कि बाढ़, अतिवृष्टि, ओले गिरना, इनसे बनी स्थितियों से निपटने का जिम्मा कृषि मंत्रालय के पास था। देश में आपदा प्रबंधन ऐसे ही चल रहा था। लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद जो कुछ हुआ, उसने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए। हमने तमाम विभागों और मंत्रालयों को राहत और बचाव के काम में झोंक दिया। उस समय के जो अनुभव थे, उनसे सीखते हुए ही 2003 में गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया गया।
उन्होंने कहा, हमने रिलीफ, रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन पर जोर देने के साथ ही रिफॉर्म पर भी बल दिया है। हमने NDRF को मज़बूत किया, उसका आधुनिकीकरण किया, देश भर में उसका विस्तार किया। स्पेस टेक्नोलॉजी से लेकर प्लानिंग और मैनेजमेंट तक, बेस्ट पॉसिबल प्रैक्टिस को अपनाया गया।
इस मौके पर केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान और नि:स्वार्थ सेवा की सराहना और सम्मानित करने के लिए वार्षिक सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की शुरुआत की है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी साल 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ भी प्रदान किया। इसके तहत कुल 7 पुरस्कार दिए गए। इस पुरस्कार के तहत किसी संस्था के मामले में उसे 51 लाख रुपए का नकद पुरस्कार एवं एक प्रमाण पत्र और किसी व्यक्ति के मामले में उसे 5 लाख रुपये एवं एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में घोषणा की थी कि देश में गणतंत्र दिवस समारोह हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को शामिल करने के लिए शुरू होगा। उनकी जयंती हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है।