संसद
Parliament Session News: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार (1 दिसंबर 2025) को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी सांसदों के हंगामे से लोकसभा की कार्यवाही प्रभावित रही। राज्यसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे पर सदन से वॉक आउट किया। सरकार ने कहा कि वह एसआईआर पर चर्चा के विरोध में नहीं है, लेकिन इसके लिए कोई तय समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती।
विपक्षी दल संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान चुनाव सुधारों के विषय पर चर्चा की मांग करते हुए मंगलवार को संसद परिसर में प्रदर्शन कर सकते हैं। विपक्षी दलों के सांसद संसद भवन के मकर द्वार के पास एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। अगर सरकार एसआईआर पर चर्चा नहीं कराना चाहती, तो चुनाव सुधार जैसे व्यापक मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है और विपक्ष इस मांग को आगे बढ़ाएगा।
हंगामे के बीच ही लोकसभा ने मणिपुर जीएसटी (दूसरा संशोधन) बिल 2025 को मंजूरी दे दी। विपक्षी सदस्यों की नारों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ भी पेश किया। विपक्ष के शोर-शराबे के चलते लोकसभा की कार्यवाही बाधित रही और दो बार स्थगन के बाद सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार एसआईआर और चुनाव सुधारों पर चर्चा के खिलाफ नहीं है, लेकिन जवाब देने के लिए उसे थोड़ा समय चाहिए। मंत्री की टिप्पणी से नाराज़ विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर दिया। रिजिजू ने राज्यसभा में यह बात उस समय कही जब कांग्रेस-नीत विपक्ष एसआईआर पर तुरंत चर्चा की मांग कर रहा था।
इस बीच कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी अपनी कार में एक आवारा कुत्ते को लेकर संसद पहुंच गईं, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया और सत्तापक्ष के सांसदों ने उन पर नाटक करने का आरोप लगाया। विवाद के बीच रेणुका ने कहा, ‘‘जो लोग भीतर बैठे हैं वे काटते हैं, कुत्ते नहीं काटते.’’
लोकसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों के सदस्य एसआईआर सहित कुछ मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए अपने स्थानों पर खड़े हो गए। बाद में कुछ सदस्य आसन के नज़दीक आ गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से रचनात्मक भूमिका निभाते हुए सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। लेकिन शोरगुल नहीं थमने पर उन्होंने बैठक 12 बजे तक स्थगित कर दी। एक बार स्थगन के बाद जब दोपहर 12 बजे बैठक शुरू हुई, तब भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इसके चलते प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सके।
राज्यसभा में सभापति के रूप में पहली बार कार्यवाही का संचालन कर रहे सीपी राधाकृष्णन ने अपने प्रारंभिक संबोधन में सदस्यों से संस्थानों का सम्मान करने और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की अपील की। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति चाहे सभापति हों या सदस्य हम सभी को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। भारत का संविधान और राज्यसभा के नियम हमारे संसदीय आचरण की मर्यादा तय करते हैं। हर सदस्य के अधिकारों की सुरक्षा होगी, लेकिन उसी मर्यादा के भीतर।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए कहा कि एक साधारण किसान परिवार से उठकर महत्वपूर्ण संवैधानिक पद तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक है। राज्यसभा में हुए अभिनंदन में प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन का जीवन सामाजिक सेवा के प्रति निष्ठावान समर्पण का उदाहरण है और राजनीति उनके सार्वजनिक योगदान का केवल एक हिस्सा रही है।
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विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सभापति राधाकृष्णन का स्वागत किया और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे का ज़िक्र किया। इस पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह अवसर ऐसा विषय उठाने के लिए उचित नहीं है। खरगे ने सभापति से दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने और विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने की अनुमति देने की अपील की।