एक देश एक चुनाव (फोटो- नवभारत डिजाइन)
नई दिल्लीः देश में “वन नेशन वन इलेक्शन” आए दिन चर्चा में आता रहता है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वादा किया था, लेकिन चुनावी परिणामों के बाद कहा गया एक देश एक चुनाव को ठंडे बस्ते में भाजपा को डलना होगा। हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इस बिल आम सहमति बनाना चाहती हैं। लिहाजा संसद से बिल को चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जाएगा।
इसके बाद जेपीसी इस बिल पर सभी पार्टियों के नेताओं से चर्चा करेगी। इसके अलावा सभी राज्यों की विधानसभाओं के स्पीकर और देशभर के बुद्धिजीवियों और अन्य स्टेकहोल्डर्स को भी इस प्रोसेस में शामिल कर उनकी राय ली जाएगी। वहीं इससे पूर्व सितंबर माह में केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेश वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
वन नेशन वन इलेक्शन में भी 2 फेज में होगा चुनाव
कैबिनेट की बैठक में अश्वनी वैष्णव ने कहा था वन नेशन वन इलेक्शन में भी 2 फेज में चुनाव होगा। पहले फेज में लोकसभा और राज्यों का विधानसभा चुनाव होगा। उसके बाद दूसरे फेज में निकाय व पंचायत चुनाव होंगे। इसके बाद नई चुनाव प्रक्रिया के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने 191 दिन रिसर्च के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्म को सौंपी थी।
सिफारिश में कोविंद पैनल अहम सुझाव
सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए। हंग असेंबली की स्थिति में बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। साथ ही कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।
कई संवैधानिक बदलाव के सुझाव
वन नेशन वन इलेक्शन की गठित कमेटी ने कई संवैधानिक बदलावों का सुझाव दिया है, इनमें से ज्यादातर में राज्यों की विधानसभाओं के सहमति की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा कुछ संवैधानिक बदलावों के लिए बिलों को संसद में पास कराना जरूरी होगा। वहीं सिंगल इलेक्टोरल रोल और सिंगल वोटर आईडी कार्ड के लिए आधे से ज्यादा राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी। ऐसी संभावना है कि कोविंद कमेटी की रिपोर्ट लॉ कमीशन के सामने प्रस्तुत की जाए। वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि लॉ कमीशन 2029 में लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकायों और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दे सकता है।
अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना
एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।
पहला चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में संभावित
बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा।
असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा।
दूसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में हो सकती है
उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा।
गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा।
इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। जिसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आगे से सभी चुनाव एक साथ होंगे।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन इसके बाद राज्यों में सियासी संकट के चलते विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गईं। जिसके एक साथ चुनाव की परंपरा खत्म हो गई।