वाघा बॉर्डर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Indian Hindus Denied Entry In Pakistan: गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से एक दिन पहले, 4 नवंबर की शाम को हजारों श्रद्धालु पाकिस्तान के ननकाना साहिब के दर्शन के लिए रवाना हुए थे। लेकिन वाघा बॉर्डर पर घटी एक घटना ने कई श्रद्धालुओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दरअसल, दिल्ली और लखनऊ से आए कुछ हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन श्रद्धालुओं के पास सभी आवश्यक दस्तावेज और वीजा की औपचारिकताएं पूरी थीं। वे सिख जत्थे के साथ बस में सवार होकर ननकाना साहिब जाने वाले थे, लेकिन उसी समय पाकिस्तानी अधिकारियों ने अचानक घोषणा की कि केवल वही लोग आगे जा सकेंगे, जिनके दस्तावेजों में धर्म के रूप में ‘सिख’ लिखा हुआ है। इस आधार पर हिंदू श्रद्धालुओं को सीमा पर ही रोक दिया गया और उन्हें पाकिस्तान में प्रवेश से मना कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर 14 भारतीय हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी। इसके अलावा, वीजा के लिए स्वतंत्र रूप से आवेदन करने वाले लगभग 300 लोगों को भी वापस लौटा दिया गया, क्योंकि उनके पास आवश्यक गृह मंत्रालय की मंजूरी नहीं थी। ये सभी श्रद्धालु सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती मनाने के लिए उनके जन्मस्थान ननकाना साहिब जा रहे थे।
बताया गया कि इन 14 हिंदू श्रद्धालुओं के साथ लगभग 2,100 लोगों का जत्था था, जिन्हें भारत के गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान यात्रा की अनुमति दी थी और इस्लामाबाद ने भी उतनी ही संख्या में यात्रा दस्तावेज जारी किए थे। हालांकि, धर्म के आधार पर लगाए गए इस प्रतिबंध से श्रद्धालुओं में गहरा रोष और निराशा फैल गई।
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भारतीय अधिकारियों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे धार्मिक भेदभाव का उदाहरण करार दिया। उनका कहना है कि भारत ने कभी किसी भी देश के श्रद्धालुओं के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक यात्राओं से संबंधित समझौते की भावना के खिलाफ है, जिसके तहत दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को परस्पर यात्रा की अनुमति दी जाती है। पाकिस्तान की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह धार्मिक यात्राओं को भी राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है?