PIC: @nalanda_univ/Twitter
नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Oxford and Cambridge Universities) का नाम भारत में काफी मशहूर है। आजकल के छात्रों का मानों सपना हो गया है इन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने का, जिसके लिए छात्र काफी मेहनत भी करते हैं। लेकिन, अब अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस और वर्ल्ड क्लास कैंपस में पढ़ने का सपना ऐतिहासिक नगरी नालंदा में भी पूरा किया जा सकता है। नालंदा में बनकर तैयार हुए नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) के कैंपस किसी विदेशी युनिवेर्सिटी से कम नहीं है।
जी हां, अब नालंदा युनिवेर्सिटी इतना शानदार बनाया गया है कि इसकी तस्वीर देख आप बाकी युनिवेर्सिटी भूल जाएंगे। इसका भवन देखने योग्य हो गया है, यकीनन लोग नालंदा विश्वविद्यालय को देखकर ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज का नाम लेना भी नहीं चाहेंगे। जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा यूनिवर्सिटी के नए भवन का उद्धाटन भी कर सकते हैं।
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यह बात तो सभी जानते हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के ज्ञान विज्ञान का केंद्र रहा है। दुनियाभर से छात्र यहां पढ़ने आते हैं। सन् 1193 में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से तहस-नहस कर कर दिया था। तब से यह विश्वविद्यालय खंडहर में तब्दील हो गया था, लेकिन अब नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास को दोबारा से स्थापित कर बिहार की मौजूदा सरकार ने इसको दोबारा बनाया है। नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस 456 एकड़ में तैयार किया गया है। जहां इसका इतिहास और आधुनिक निर्माण कला का अनूठा प्रदर्शन देखने मिलता है।
यूनिवर्सिटी की सीढ़ियों और भवनों की बनावट पुराने नालंदा विश्वविद्यालय की यादें ताजा करती हैं। वहीं रेन वाटर हार्वेस्टिंग और मेन गेट पर आकर्षक रोशनी का इंतजाम किया गया है, जो आधुनिक शैली की शानदार झलक दिखती है। इसके अलावा नालंदा यूनिवर्सिटी के भवन को मौसम के अनुकूल बनाया गया है। जहां गर्मी में ठंडक और ठंड में गर्मी का अहसास होगा। इस बिल्डिंग के चारों तरह बिल्कुल साफ नीला पानी दिखाई देता है।
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नालंदा विश्वविद्यालय पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम की सलाह पर नीतीश सरकार ने नया भवन बनाने का फैसला लिया था। 2007 में केन्द्र सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की उपस्थिति में मेंटर ग्रुप का गठन किया था, जिसमें चीन, सिंगापुर, जापान और थाईलैंड के प्रतिनिधि शामिल थे। बाद में मेंटर ग्रुप ही विश्वविद्यालय का गवर्निंग बॉडी बन गया।
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वहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की वजह से नालंदा यूनिवर्सिटी के निर्माण में जापान, सिंगापुर ने अपनी ओर से मदद मिली थी। इसकी स्थापना पर 16 देशों की सहमति बनी। 2010 को संसद में ऐक्ट पास हुआ। राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। 21 सितम्बर 2010 को राष्ट्रपति ने इस पर अपनी सहमति दे दी और 25 नवंबर को यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ गया था।
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नालंदा यूनिवर्सिटी के पहले सत्र में स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ इकोलॉजी एण्ड एनवायरमेंट की पढ़ाई शुरू हुई। ज्ञात हो कि, इस यूनिवर्सिटी का इस तरह विकास किया जा रहा है कि यहां से एकेडमिक पढ़ाई हो, बल्कि शोध केन्द्र के रूप में भी विकसित हो। इसे विश्व का सबसे यूनिक शोध केन्द्र बनाए जाने की योजना भी चल रही है।