अरविंद केजरीवाल, वृंदा करात (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः राजधानी में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। दिल्ल के चुनाव में पिछले एक दशक से सत्ता में बरकरार आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव टफ माना जा रहा है। पहली केजरीवाल की पार्टी को एंटी इनकंबेसी का सामना करना पड़ा है। चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार भाजपा की सीटों में जादुई उछाल आ सकता है। वहीं कांग्रेस भी तीन से 5 सीटें जीत सकता है।
दिल्ली में भाजपा सत्ता के लिए एक दशक से ज्यादा समय से संघर्ष कर रही है। इस बार भाजपा सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है, लेकिन भाजपा के सामने चुनौती के रूप में इंडिया गठबंधन के दल सामने आ रहे हैं। दिल्ली भाजपा के खिलाफ लगातार राजनीतिक दल केजरीवाल के समर्थन में आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी के बाद लेफ्ट की पार्टियों ने आप का समर्थन किया है।
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले वामपंथी एकता दिखाते हुए, कम्युनिस्ट पार्टियों ने 6 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए एक-दूसरे को समर्थन देने का फैसला किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) दो सीटों – करावल नगर और बदरपुर पर चुनाव लड़ेगी। सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने गुरुवार को “भाजपा हटाओ, दिल्ली बचाओ” का नारा देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के लोगों के अधिकारों पर “बुलडोजर चला रही है” और उन्हें रोकना जरूरी है। तीन वामपंथी दल – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), सीपीआई और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) – कुल छह (विधानसभा) सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक में दो सीटें हैं।
करात ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सीपीआई (एम) करावल नगर और बदरपुर (विधानसभा क्षेत्र) में चुनाव लड़ रही है। बाकी सीटों के लिए, हमने ‘भाजपा हटाओ, दिल्ली बचाओ’, का नारा दिया है। उन्होंने भाजपा पर दिल्ली सरकार को “स्वायत्तता” से वंचित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की नीतियों ने दिल्ली सरकार की स्वायत्तता को खत्म कर दिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य किया था। उन्होंने कहा कि मैंने आपको बताया है कि यहां हमारा पूरा ध्यान दिल्ली में भाजपा को हराने को पर है। जहां वामपंथी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, हम अपने विश्लेषण के आधार पर तय करेंगे कि किसे समर्थन देना है।