आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और मर्डर मामले में आज सुनवाई
RG Kar Case: कोलकाता के आरजी कर रेप और मर्डर केस का दोषी संजय रॉय अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले की आज सुनवाई होगी। ट्रायल कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद उसने इस फैसले को कोलकाता उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और अर्जी देकर खुद को निर्दोष साबित करने की गुहार लगाई है। यह अपील जस्टिस देबांगसु बासाक और जस्टिस एम शब्बर रशीदी की बेंच के सामने पेश की गई है। कोर्ट इस पर बुधवार, 16 जुलाई को सुनवाई कर सकता है। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में दोषी पाए गए संजय को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा था कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर नही है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार और सीबीआई ने हाई कोर्ट में अर्जी दी थी की रॉय की सजा को बढ़ाकर मौत की सजा सुनाई जाए। कोर्ट के इसी बेंच ने सीबीआई के अपील को भी स्वीकार किया है और इस मामले की सुनवाई भी करेगा। मामले में दोषी संजय रॉय ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चैलेंज किया है।
ट्रायल के दौरार संजय के बचाव में उतरे वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि आजीवन कारावास पर विचार किया जाना चाहिए। वकील ने यह भी कहा था कि फैसला सुनाते समय कोर्ट को सुधार और पुनर्वास नीति का भी ध्यान रखना चाहिए। वकील ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के “जीवन के अनुभव कम करने वाले फैक्टर्स” नाम के एक रिसर्च पेपर पर भी ट्रायल कोर्ट का ध्यान केंद्रित किया था।
ट्रायल के दौरान संजय रॉय ने अभियोजन पक्ष के 104 सवालों में से 56 बार तो यही जवाब दिया कि मैं नहीं कह सकता। जब उससे सवाल पूछा गया कि 09 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के चेस्ट डिपार्टमेंट में सीसीटीवी में दिख रहा व्यक्ति वही है तो उसने यह बात स्वीकारी। रॉय ने सफाई देते हुए कहा कि वह वहां एक मरीज को देखने गया था। उसने दावा किया कि वह मरीज के बिस्तर पर अपना ईयरफोन भूल गया था। ट्रायल जज ने बताया कि यह रॉय को सुनावाई के दौरान साबित करना था कि वह उस समय सेमिनार हॉल में नहीं था जहां लड़की का रेप हुआ बल्कि पुरुष वार्ड में था। उसने इस बात को साबित करने के लिए किसी को भी गवाह के तौर पर नहीं बुलाया।
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आरोपी का अपने बचाव में जवाब था कि जब वह लालबाजार में पुलिस हिरासत में था, तो पुलिस वालों ने उसे पीटा और उसके बाल खींचे। आरोपी के वकील ने शक जताया कि हो सकता है कि पुलिस वालों ने उसके बाल झूठे तरीके से फंसाने के लिए लगाए हों। ट्रायल जज ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान पुलिस वालों से इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा गया।