जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर हुई सुनवाई, फोटो: सोशल मीडिया
Justice Yashwant Verma: जस्टिस वर्मा के खिलाफ चल रहे मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने मामले में कई सवाल किए जिसका जवाब यशवंत वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने दिया। कैश बरामदगी मामले में फंसे जज यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है। उन्होंने शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ बनी जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की थी। इस अपील को अदालत ने न सिर्फ खारिज किया बल्कि यह भी कहा कि ऐसी याचिका दाखिल ही नहीं होनी चाहिए थी।
सोमवार यानी आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि वर्मा द्वारा मांगी गई राहत खुद सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली के विरुद्ध है और याचिका में कई जरूरी तथ्यों और पक्षकारों को शामिल नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी से जुड़े मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में वर्मा को दोषी ठहराया था। इसके बाद उन्होंने रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के दौरान पीठ ने सवाल किया कि याचिका में सभी आवश्यक पक्षकारों को क्यों नहीं जोड़ा गया और आंतरिक जांच रिपोर्ट की प्रति क्यों नहीं लगाई गई। अदालत का कहना था कि याचिका अधूरी है और इस तरह के गंभीर मामलों में पूरी पारदर्शिता जरूरी होती है।
जस्तिस वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की एक निश्चित प्रक्रिया है, और इस प्रक्रिया में गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मीडिया, वेबसाइटों या सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों पर सार्वजनिक टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं के खिलाफ है। इस पर पीठ ने सवाल उठाया कि अगर उन्हें समिति की वैधता पर संदेह था, तो वे उसके सामने पेश ही क्यों हुए? क्या वे यह सोचकर वहां गए थे कि समिति उनके पक्ष में फैसला करेगी?
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो एक पन्ने पर ‘बुलेट प्वाइंट’ लिख कर ले आएं और वर्मा की याचिका में पक्षकार बनाए गए लोगों के ज्ञापन को भी ठीक करें। कोर्ट इस मामले पर अब 30 जुलाई को सुनवाई करेगा।