(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Agniveer Retention Update: राजस्थान के जैसलमेर में गुरुवार से शुरू होने वाले आर्मी कमांडर समिट में मुख्य मुद्दों में से एक यह होने की संभावना है कि अग्निवीरों की सेवा निरंतरता दर को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक किया जाए। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सम्मेलन में तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता को बढ़ाने के उपाय और मिशन सुदर्शन चक्र के अमल की समीक्षा भी एजेंडा में शामिल हो सकते हैं। अग्निवीरों का पहला बैच अगले साल अपना चार साल का कार्यकाल पूरा करेगा, इसलिए उनकी सेवा निरंतरता सम्मेलन के एजेंडे में शामिल है।
इस साल के मई महीने में ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह सेना कमांडरों का पहला सम्मेलन होगा। यह सम्मेलन सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने और उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रमुख परिचालन प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करने का एक मंच प्रदान करता है।
इसी तरह, पूर्व सैनिकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में रिटायर्ड सैनिक सीमित भूमिकाओं में कार्यरत हैं, जैसे कि आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) पॉलीक्लिनिक्स, लेकिन अब अलग-अलग स्ट्रक्चर में उनकी व्यापक भागीदारी पर भी गौर किया जा रहा है। सम्मेलन में सेवारत सैनिकों के कार्मिक और कल्याण संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता को और मजबूत करने के संभावित कदम सम्मेलन के मुख्य बिंदुओं में से एक रहने की उम्मीद है।
इस एकीकरण में सुधार के लिए जिन उपायों पर चर्चा की जा रही है, उनमें उपकरणों का मानकीकरण, रसद और खरीद के लिए साझा आपूर्ति श्रृंखलाएं, सभी स्तरों पर संयुक्त प्रशिक्षण, विभिन्न सेनाओं में अधिक क्रॉस-पोस्टिंग और अनुभव का आदान-प्रदान, और कर्मियों के बीच बेहतर सामाजिक संपर्क शामिल हैं। ये सभी कदम थिएटर कमांड के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से उठाए जा रहे हैं।
ये भी पढ़ें: तेजस्वी यादव होंगे विपक्ष का सीएम फेस, महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगी मुहर
इन पहलों में से कुछ पर पिछले महीने कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में भी चर्चा हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री ने भी भाग लिया था। उस बैठक में सरकार ने तीन संयुक्त सैन्य स्टेशनों के गठन और सेना, नौसेना और वायु सेना की शिक्षा शाखाओं का एक त्रि-सेवा शिक्षा कोर में विलय करने की घोषणा की थी। यह गहन एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।