विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का दिल्ली में गर्मजोशी से स्वागत किया (फोटो- सोशल मीडिया)
India Embassy Reopening in Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के चार साल बाद, भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी आठ दिवसीय ऐतिहासिक दौरे पर भारत में हैं। शुक्रवार को दिल्ली में उनकी मुलाकात भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हुई। इस उच्चस्तरीय बैठक में सबसे बड़ा फैसला यह लिया गया कि भारत काबुल में अपने दूतावास को फिर से खोलेगा, जो दोनों देशों के बीच बदलते समीकरण का एक बड़ा संकेत है।
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानी प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि अफगान लोगों का भविष्य उन्हें खुद तय करना चाहिए और भारत इसमें उनका सहयोगी रहेगा, जो एक महत्वपूर्ण राजनयिक संदेश है।
Opening remarks at my meeting with Afghan FM Muttaqi, in New Delhi.
https://t.co/incgPxvRnH — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 10, 2025
इस बैठक के दौरान अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भारत के साथ दोस्ती को लेकर कई अहम बातें कहीं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि अफगानिस्तान किसी भी सैन्य बल को अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ करने की इजाजत नहीं देगा। मुत्ताकी ने कहा कि अमेरिकी कब्जे के दौरान कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन अफगानिस्तान ने कभी भी भारत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने पिछले चार सालों में भूकंप जैसी आपदाओं के बाद भारत द्वारा दी गई मदद के लिए आभार जताते हुए कहा कि भारत एक करीबी दोस्त है जो मुश्किल समय में साथ खड़ा रहता है।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की सुरक्षा के प्रति अफगानिस्तान की संवेदनशीलता की सराहना की। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के दौरान अफगानिस्तान के समर्थन को भी याद किया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद के हर रूप से लड़ने के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग और व्यावहारिक साझेदारी को बढ़ाने पर भी जोर दिया ताकि आपसी समझ का उपयोग करके दोनों देशों के लिए नए अवसरों का फायदा उठाया जा सके।